कहाँ रहेंगे? मेरा एक चैतन्य अस्तित्व है। ज्ञानगुणका अस्तित्व है। आनन्दका अस्तित्व है। आनन्द अस्तित्वसे भरा है। ज्ञान, आनन्द आदि सब अस्तित्वसे भरे हैं। उसका वेदन, आनन्दगुणका वेदन आनन्दस्वरूप है, जाननेका जाननस्वरूप, लेकिन अस्तित्व नहीं है तो वेदन किसका?
मुमुक्षुः- इसीलिये सच्चिदानन्दमें पहले सत लिया।
समाधानः- सत-पहले वस्तु है। ध्रुव एक वस्तु है। लेकिन वह है। हयातीसे टिकनेवाली। उसका भाव वह है-हयाती, उसका भाव वह है-हयाती। वह जाननेका, आनन्दका। वेदन स्वयंको (होता है)। अनादिसे स्वयं दुःखी हो रहा है, इसलिये दुःखसे छूटनेके लिये कहते हैं, सुख आत्मामें है। तो उस ओर मुडता है। सुख आत्मामें है, बाहर नहीं है। इसलिये वह सुखकी ओर मुडा। परन्तु सुख किसमें रहा है? सुख बाहर तो नहीं है। तो सुख किस पदार्थमें है?
आत्मा पदार्थ है। जौ मौजूदगी रखता है, उसमें सुख है। मौजूदगीके बिना सुख कहाँ रहेगा? हयाती साथमें होती है। हयाती उसका भाव है। अस्तित्वका भाव मौजूदगी रखना, वह है। शाश्वत है। अनन्त काल गया, अनन्त जन्म-मरण किये, कुछ भी किया लेकिन उसका अस्तित्व, ज्ञायकका अस्तित्व ज्ञायकरूप ही रहा है। चाहे किसी भी क्षेत्रमें रहा, जडके साथ रहा, चाहे जैसे उपसर्ग, परिषह आये तो भी उसका अस्तित्व- ज्ञायकका-चैतन्यका अस्तित्व चैतन्यरूपसे छूटता नहीं, नाश नहीं हो जाता। निगोदमें रहा, नर्कमें गया, कहीं भी गया, चाहे जैसे दुःख आये तो भी चैतन्यका अस्तित्व है, वह अस्तित्व मौजूदगी रखता है। उसका भाव हयाती धरना है। अपनी हयाती ज्ञायककी ज्ञायकरूप हयाती छूटती ही नहीं, नाश नहीं होती। उसका भाव हयाती रखना है। है, हयाती रखनेवाली वस्तु है। उसका कोई नाश नहीं कर सकता। ऐसी ध्रुव शाश्वत वस्तु है। उसका भाव हयाती रखना है। उसका वेदन वह है कि हयाती रखना। ज्ञानका जाननेका वेदन, आनन्दका आनन्दरूप और हयाती रखना उस प्रकारका उसका वेदन है। हयाती, जो हयाती है।
मुमुक्षुः- ऐसा निर्णय..
समाधानः- ऐसा निर्णय करे कि मैं एक वस्तु है। जो हो उसका निर्णय होता है, नहीं हो उसका निर्णय कैसा? है उसे ग्रहण करता है, नहीं है उसका ग्रहण क्या? एक वस्तु है। तो भी वह भावसे भरा है। ध्रुव। वह खाली ध्रुव नहीं है, ज्ञायक ध्रुव। अस्तित्व कैसा? ज्ञायकका अस्तित्व, आनन्दका अस्तित्व। सब गुणसहित अस्तित्व है। उसमें गुण साथमें आते हैैं। खाली अस्तित्व नहीं है, अस्तित्व खाली शुष्क अस्तित्व नहीं है। वह अस्तित्व ज्ञान आदि अनन्त गुणोंसे भरा अस्तित्व है। हयाती। हयाती