७१
समाधानः- अपनी ओर मुडे तो स्वयं प्रगट होता ही है। (परपदार्थ) अपना होता नहीं, अपना करनेका प्रयत्न करता है, कोई होता नहीं। और यहाँ तो यदि स्वयंको ग्रहण किया तो अल्प कालमें अपनेरूप हो जाता है। अपनी ओर मुडा सो मुडा। एक बार अपनी ओर गया तो फिर पहलेकी भाँति उसकी एकत्व परिणति होती ही नहीं। अल्प कालमें अपनी ओर प्रगट हुए बिना रहता ही नहीं, ऐसा सहज है। उसे मुश्किल लगता है। उसे पर-ओरका, विभाव-ओरका अभ्यास है, परन्तु यदि अपनी ओर मुडा तो सहज है।
मुमुक्षुः- माताजी! ऐसा लगता है कि एक क्षण विकल्पके बिना जाता नहीं, एक क्षण टिकता नहीं,.. एक क्षण विकल्पको हटा नहीं सकते। तब ऐसे लगता है कि यह सहज कैसे होता है?
समाधानः- अनादिका अभ्यास है इसलिये टिकता नहीं। स्वयं कारण थोडा दे तो कार्य कहाँ-से आये? उसके लिये अधिक कारण चाहिये। प्रथम भूमिका विकट होती है, श्रीमद कहते हैं न? फिर सहज है और सरल है। हमेशा प्रथम भूमिका विकट है। क्योंकि स्वयं दूसरे अभ्यासमें है, विभावके अभ्यासमें है, उसमेंसे छूटकर स्वभावमें आना उसे कठिन लगता है। परन्तु एक बार आया तो सहज है। फिर तो पानी पानीको खिँचता अपने प्रवाहकी ओर चला जाता है। वैसे स्वयं अपने स्वभावमें चला जाता है, वह सहज है। परन्तु प्रथम भूमिका विकट है।
मुमुक्षुः- माताजी! क्षण-क्षणमें पुरुषार्थ (चाहिये)। जैसे पैसा एक-एक मिनटमें चाहिये, एक कदम नहीं बढता, वैसे पुरुषार्थ भी क्षण-क्षणमें चाहिये।
समाधानः- क्षण-क्षणमें पुरुषार्थ चाहिये। व्यवहारमें ऐसा है कि पैसा चाहिये। आत्मामें पुरुषार्थकी जरूरत पडती है। क्षण-क्षणमें पुरुषार्थ। स्वयंकी जागृति रखनी चाहिये, तो अपनी ओर सहज होता है। यह अनादिका कैसा सहज (परिणमन है)। उसे ऐसा रस है कि एकके बाद एक विकल्प आये वह उसे सहज हो गया है। उसे उतना प्रयत्न नहीं करना पडता और एकके बाद एक विकल्प चलते ही रहते हैं, चलते ही रहता है। वह कैसा सहज (हो गया है)। विभावकी परिणति ऐसी सहज हो गयी है। वैसी क्षण-क्षणमें अपनी ओर जाय ऐसी अपनी ओर सहज परिणति हो तो अपनी ओर जाये। ऐसा कर नहीं सकता, उसे विकट लगता है। पानीको शीतल होना सहज है। (क्योंकि) अपना स्वभाव है। वैसे ज्ञायकको ज्ञायकरूप परिणमना सहज है। परन्तु वह करता नहीं है, अनादिका अभ्यास पर-ओरका हो गया है।
मुमुक्षुः- माताजी! शास्त्रमें शब्द तो आते हैं कि सहज आत्म स्वरूप है। पढते हैं, परन्तु अन्दर .. आपने जो लिखा है कि क्षण-क्षणमें पुरुषार्थ चाहिये अथवा जैसे