Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-२)

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मुमुक्षुः- .. उसमें शंकारहित होता है, ...

समाधानः- पहले निर्णय होता है वह कच्चा यानी उसे शंका नहीं है। एकदम समीपमें जिसे स्वानुभूति होनेवाली है, उसे पहले जो निर्णय होता है, उसे कच्चा शंकावाला नहीं कहते। परन्तु अभी उसे स्वानुभूति नहीं हुयी है, इसलिये उसे व्यवहार कहनेमें आता है। श्रद्धाका बल जो अनुभूतिके बाद जो श्रद्धाका बल आता है, वैसा बल नहीं है। लेकिन वह शंकायुक्त नहीं है। उसके बलमें कुछ अंतर है। शंकायुक्त नहीं है।

मुमुक्षुः- वचनामृतके बोलमें है, पक्का निर्णय अनुभवके पहले भी हो सकता है।

समाधानः- हाँ, हो सकता है, पक्का हो सकता है, लेकिन जो परिणतिपूर्वकका निर्णय (होता है), वह अलग है। उसकी अपेक्षासे उसका बल कम है, भले ही पक्का कहें तो भी। अनिश्चित नहीं है, ऐसा निर्णय नहीं है, अनिश्चित है ऐसा नहीं है। पक्का कहनेमें आता है, परन्तु परिणतिकी अपेक्षासे, जो साक्षात अनुभूति होकर जो प्रतीति होती है, उस प्रतीतिका बल कुछ अलग ही होता है। इसे व्यवहार कहते हैं।

मुमुक्षुः- ...

समाधानः- देव-गुरु-शास्त्रका निर्णय पक्का और मैं यह ज्ञायक हूँ, विभाव मेरा स्वभाव नहीं, यह सब निर्णय उसे पक्का होता है। निर्णय पक्का है, लेकिन परिणति प्रगट नहीं हुयी है।

मुमुक्षुः- द्रव्यकी स्वतंत्रता भी उसे बराबर... द्रव्य, क्षेत्र, काल, भावसे अस्तिरूप है, परद्रव्यसे नास्तिरूप है। ऐसा होनेसे जब सब्जीको छूरीसे काटते हैं, तब छूरीसे टूकडे नहीं होते हैं, ऐसा जो निर्णय, इसप्रकारका निर्णय अनुभव पूर्व उसे विकल्पात्मकमें पक्का होना चाहिये?

समाधानः- प्रत्येक द्रव्य स्वतंत्र है, ऐसा उसे आ जाये, उसमें सभी पहलू आ जाते हैं। फिर बार-बार उसके विकल्प करने नहीं बैठता कि यह छूरीसे होते हैं, या सब्जी भिन्न है और छूरीके सभी पुदगल भिन्न-भिन्न हैं, ऐसा बार-बार विकल्प (नहीं करता), परन्तु उसे प्रत्येक द्रव्य स्वतंत्र हैं, ऐसी श्रद्धा उसे हो गयी है।

मुमुक्षुः- विकल्पकी बात नहीं है, लेकिन उसे निर्णय तो...

समाधानः- स्वतंत्र है, कोई किसीका कुछ नहीं कर सकता। मैं मेरा कर सकता हूँ, दूसरे पुदगल पुदगलका (कार्य करता है)। प्रत्येक पुदगल-पुदगल स्वतंत्र है। यह सब उसे बैठ गया है। मात्र एकदूसरेके निमित्तसे होते हैं, वह सब निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्धसे होता है। यह सब उसे बैठ गया है।

मुमुक्षुः- ऐसा भावमें बराबर बैठे तो वह आगे बढ सकता है।

समाधानः- उसे भावमें आ जाना चाहिये। प्रत्येक द्रव्यकी स्वतंत्रता आनी चाहिये।