Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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PDF/HTML Page 45 of 1906

 

ट्रेक-

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मैं स्वतंत्र और पुदगल स्वतंत्र, इतना तो आ जाना चाहिये। पुद्गगल द्रव्य मुझे कुछ कर सकता है और मैं उसे कुछ कर सकता हूँ, ऐसी बुद्धि है तबतक आगे नहीं बढ सकता। वह मेरेमें कुछ कर सके या मैं उसमें कुछ कर सकूँ, ऐसी अन्दर यदि किसी प्रकारकी मन्दता हो तो वह आगे नहीं बढ सकता। उसे जोर आना चाहिये कि मैं स्वयं स्वतंत्र हूँ। पुदगल मेरा कुछ नहीं कर सकता। ऐसा जोर उसे अन्दर आना चाहिये।

प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो!
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