१६ और सब जगह है। सब देव उनकी पूजा एवं भक्ति करने जाते हैं। समवसरणमें वाणी सुनने जाते हैं। जहाँ-जहाँ जिन प्रतिमा हो, वहाँ देव भक्ति (करने जाते हैं)। यह तो पंचम काल है इसलिये कुछ दिखता नहीं, बाकी देवोंके हृदयमें भगवानकी भक्ति होती है।
भगवानका जन्म होता है तब सुधर्म इन्द्र आदि आकर भगवानका जन्म आदि महोत्सव इन्द्र करते हैं। कल्याणक। जहाँ-जहाँ प्रतिमा हो, देव और इन्द्रों आकर रक्षा करते हैं, उनकी भक्ति करते हैं, ऐसा शास्त्रमें आता है। मन्दिर ऊपरसे किसीका विमान जाता हो तो विमान थँभ जाता है। यहाँ क्यों थँभी गया? देखते हैं तो मालूम पडता है कि नीचे मन्दिर है। ऊपरसे विमान चलता हो और नीचे ऊतरकर भगवानके दर्शन करने आते हैं। तीन लोकमें भगवानका, जिनेन्द्र देवकी उतनी महिमा है।
वर्तमान, भावि भगवंत हैं, तीर्थंकर भगवंतोंकी उतनी महिमा है। तीर्थंकर द्रव्यकी उतनी महिमा है। भरत चक्रवर्तीने तीन चौबसीके बिंब करवायें। उन्हें उत्साह आ गया कि मेरे पिताजी ऋषभदेव भगवान तीर्थंकर, उनका मरिची पुत्र वह भी तीर्थंकर, महावीर भगवान चौबीसवें (तीर्थंकर) होनेवाले हैं। उन्होंने भूत, वर्तमान, भावि तीनों चौबीसीके रत्नके बिंब विराजमान किये। कैलास पर्वत पर पाँचसौ-पाँचसौ धनुषके।
मुमुक्षुः- हमारे यहाँ दादरमें भूत, वर्तमान और भावि तीनों भगवान आ गये। वर्तमान सीमंधर भगवान, भविष्यके महापद्म भगवान और सूर्यकीर्ति भगवान और आदिनाथ भूतकालके।
समाधानः- आदिनाथ भगवान। प्रथम आदिनाथ भगवान (हुए)। इस चतुर्थ कालमें चौबीस (तीर्थंकर) हुए, उसमें प्रथम आदिनाथ भगवान हुए। और यह चौबीसी पूरी हुयी, आगामी प्रथम महापद्म भगवान, श्रेणिक राजाका जीव प्रथम तीर्थंकर होंगे। सीमंधर भगवान तो विराजते हैं और भावि भगवान सूर्यकीर्ति।
गुरुदेव यहाँ पंचमकालमें पधारे। वह भी तीर्थंकरका द्रव्य था। उन्होंने पंचम कालमें, विषम कालमें इतना धर्मका प्रचार किया कि पूरे हिन्दुस्तानमें तीर्थंकर जैसा काम किया, यहाँ आकर। इसलिये उनकी भी प्रतिमाजी, भविष्यके तीर्थंकर होनेवाले हैं, उस रूपमें विराजमन (किये)।
मुमुक्षुः- ... उन्होंने की। और उनके आंगनमें-दादर उनके आंगनमें भी कहेंगे न।
समाधानः- उनके ही आंगनेमें कहलाये। यहाँ उन्होंने भगवान लिये, सब किया था। शुरूआत सब उन्होंने की। उन्होंने सभामें जाहिर किया। उनकी भावना हो, उसमें मैं क्या कहूँ? पूरे समाजकी भावना (थी)। सबकी भावनासे सब सफल हो गया। भक्ति