Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-३)

३२ ऐसा ज्ञायक मुझे प्रगट हो, ऐसी ज्ञायककी परिणति मुझे प्रगट हो। ऐसी अंतरमें भावना (होती है)। भगवानने ऐसी दशा प्रगट की, वह दशा आदरने योग्य है।

वैसा आत्माका स्वरूप है। जैसे भगवान हैं, वैसा मैं हूँ। ऐसा आत्मा मुझे कैसे प्रगट हो? ऐसी रुचि उसे साथमें (होती है)। रुचिवानको ऐसी रुचि होनी चाहिये। उसे भगवानकी वीतरागी दशाका आदर है। भगवानका अनुपम स्वरूप है, वैसा मेरा स्वरूप है। वह मुझे कैसे प्रगट हो, ऐसी भावना साथमें होनी चाहिये।

मुमुक्षुः- यानी उसमें उसकी रुचि पुष्ट होती है?

समाधानः- रुचि पुष्ट होती है। वीतराग दशाकी रुचि। आत्माकी रुचि पुष्टि होती है। जैसा भगवानका आत्मा है, वैसा मेरा आत्मा है। ऐसा आत्मा मुझे कैसे प्रगट हो? आत्माकी रुचिको पुष्ट करता है।

मुमुक्षुः- भगवानको देखकर उसे ऐसी भावना होती है कि ऐसा संपूर्णपना मैं कैसे प्राप्त करुँ।

समाधानः- हाँ, कैसे प्राप्त करुँ? ऐसा स्वरूप मुझे कैसे प्राप्त हो? भगवानने जो मार्ग अंतरमें प्रगट किया, वैसा मुझे कैसे हो? प्रारंभसे लेकर अंत तक भगवानने जो प्रगट किया, वह सब मुझे कैसे प्रगट हो? उसकी स्वयंकी रुचिको पुष्ट करे। वह स्वयं वीतरागी दशाका आदर करता है। उसे भेदज्ञानकी धारा नहीं रहती है, परन्तु अपनी भावना और रुचिको पुष्ट करता है। जिज्ञासु हो वह। बाकी तो जो ओघे-ओघे रूढिगतरूपसे करता हो, उसकी बात नहीं है। जिज्ञासु हो,.. भगवान जैसा स्वरूप मुझे कैसे प्राप्त हो?

जिन प्रतिमा जिन सारखी। जिन प्रतिमा जिन सारखी, अल्प भव स्थिति जाकी, सो ही जिन प्रतिमा प्रमाणे जिन सारखी। जिसकी भव स्थिति अल्प है वह जिन प्रतिमाको... जिनेश्वर जैसी... क्योंकि भगवानकी मुद्रा जो है समवसरणमें बैठे हों, वैसी मुद्रा जिन प्रतिमामें (होती है)। इस प्रकार भगवान याद आये। भगवानकी मुद्रा देखकर भगवान याद आये। उस प्रकार भगवानको जो स्वीकारता है कि यह भगवानकी ही मुद्रा है। मानो भगवान बैठे हों! ऐसा स्वीकारता है। अल्प भव स्थिति जाकी सो ही... अंतरमें रुचिपूर्वक।

मुमुक्षुः- वीतराग भगवानका बिंब देखकर उसे अन्दरमें चैतन्य..

समाधानः- इसे अपना चैतन्यबिंब याद आये। टंकोत्किर्ण चैतन्यबिंब भी ऐसा ही है। स्वरूपमें लीन हो जाये ऐसा है। बाहर जाना वह मेरा स्वरूप नहीं है। अंतरमें जाना वही इस चैतन्यदेवका स्वरूप है। जैसे भगवान हैं, वैसा ही मैं हूँ।

(भगवानके) द्रव्य-गुण-पर्यायको जाने, अपने द्रव्य-गुण-पर्यायको जाने। भगवान कैसे