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समाधानः- क्या करे? अखबारमें सब आता है। दूसरे गाँवमें देखो, सनावदमें, इन्दौरमें... उसमें विरोध किया। रथमें भगवानको, कुन्दकुन्दाचार्यकी प्रतिमा विराजमान की तो एक ओर भीतरमें भगवानकी प्रतिष्ठा हुयी और कुन्दकुन्दाचार्यदेवकी। खीडकीमें पत्थर और धमाल हुयी। भगवानकी प्रतिष्ठामें विघ्न डाला। दरवाजे तोड-तोडकर...
मुमुक्षुः- अभी समयसार नदीमें डालते हैं।
समाधानः- शास्त्र नदीमें डाले तो वह क्या है? शास्त्रोंकी भी अशातना करते हैं। भगवानके मन्दिरमें प्रतिष्ठा हो तो उसकी अशातना करते हैं। अपनी पक्कड ग्रहण कर-करके.... आचार्यदेवके शास्त्र हैं, कोई घरके थोडे ही है। शास्त्रकी अशातना करते हैं।
मुमुक्षुः- एक अक्षर इधर-ऊधर नहीं है। जिनवाणीका..
समाधानः- कुन्दकुन्दाचार्यकी प्रतिष्ठा करते हैं, आचार्यदेवकी और भगवानकी तो सबके सर पर पत्थर (मारे)। किसीको खुन निकला, ऐसा किया था। क्या करे? यहाँ छपे हैं तो गुरुदेवके हो गये? वह तो आचार्यदेवके शास्त्र हैं। आचायाके शास्त्र हैं।
समाधानः- ... आठवाँ द्वीप है, वहाँ ऐसा मन्दिर है। वहाँ शाश्वत जिनालय हैं। किसीने बनाया नहीं है। कुदरतकी रचना ही ऐसी है। जिनालय रच गये हैं। रत्नके जिनालय हैं। नीचे सब पर्वत हैं। रतिकर, अंजनगिरी आदि पर्वत हैं। उन पर्वतों पर जिनालय हैं। उन जिनालयोंके अन्दर प्रतिमाएँ हैं। पाँचसौ-पाँचसौ धनुषके हैं। ऐसे बडे- बडे प्रतिमा। जैसे भगवान समवसरणमें बैठे हों, वैसे ही यह शाश्वत (प्रतिमाएँ हैं)। समवसरणमें (भगवान विराजमान हों) उसी तरह भगवान बैठे होते हैं। किसीने बनाया नहीं है। जैसे पत्थर कुदरती है, वैसे रत्नरूप बने हैं। प्रतिमाओंके आकारमें वह रत्नकी प्रतिमाके आकार परिणमित हो जाते हैं। ऐसे ५२ जिनालय हैं। एकमें १०८-१०८ प्रतिमाएँ हैं। नंदीश्वर है, यहाँ जम्बूद्वीप है। दूसरा है, पुष्कर द्वीप, घातकी खण्ड है। ऐसे आगे-आगे आठवाँ नंदीश्वर द्वीप है, वहाँ शाश्वत जिनालय हैं।
वहाँ मनुष्य नहीं जा सकते हैं, देव जा सकते हैं। मेरु पर्वत है वह जम्बू द्वीपके बीचमें है। पाँच मेरु है। उसमें भी शाश्वत जिनालय हैं। रत्नकी प्रतिमाएँ हैं। जैसे भगवान हैं, वैसा ही पद्मासन, नासाग्र दृष्टि (होती है), मात्र वाणी नहीं होती। बाकी सब छत्र, चँवर सर्व प्रकारसे भगवान कमल पर विराजमान होते हैं। ऐसा होता है। भगवानकी रचनारूप अर्थात भगवान जगतमें सर्वोत्कृष्ट हैं, तो कुदरतकी रचना भी भगवानरूप कुदरती होती है, जगतके अन्दर। वहाँ मन्दिर होते हैं?
मुमुक्षुः- हाँ, मन्दिर है।
समाधानः- नंदीश्वरमें कुदरती शाश्वत भगवान हैं। पंच परमेष्ठी भगवान हैं। रुचि कैसे हो? आत्मा जगतमें सर्वोत्कृष्ट है। पंच परमेष्ठी भगवान जगतमें सर्वोत्कृष्ट हैं। पंच