Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

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है। जिसमें अनन्त गुण, अनन्त पर्याय है। द्रव्य परिणमन करके पर्याय होती है और
पर्याय द्रव्यके आश्रयसे होती है। पर्याय द्रव्यको पहुँचती है, द्रव्य पर्यायको पहुँचता है।
ऐसा गुरुदेव कहते हैं।

गुणमेंसे पर्याय होती है, गुणके आश्रयसे पर्याय होती है। गुण पर्यायको पहुँचता है, पर्याय गुणको। दोनों अभेद हैं। ऐसे टूकडे नहीं है। लक्षणभेद है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र ऐसे लक्षण भिन्न-भिन्न है। ऐसी कोई भिन्न-भिन्न वस्तु नहीं है, वस्तु तो एक ही है। ऐसा गुरुदेव कहते थे।

जैसे आम एक है। उसमें हरा, पीला ऐसा वर्ण, खट्टा-मीठा रस, ऐसे आम तो एक है। वैसे चैतन्यमें अनन्त गुण और पर्याय होने पर भी एक है। वस्तुभेद नहीं है। ऐसा कोई कहे कि पर्याय भिन्न रहती है, द्रव्य भिन्न रहता है, वस्तु दोनों अलग- अलग है, ऐसा नहीं होता। एक ज्ञायकमें अनन्त है। चैतन्य है उसमें ज्ञान है, दर्शन है, चारित्र है। ज्ञान ज्ञानका कार्य करता है, दर्शन दर्शनका, चारित्र चारित्रका लेकिन सब वस्तुमें एक है। भिन्न-भिन्न नहीं है।

मुमुक्षुः- पूज्य माताजी! आरंभमें आता है, जे जाणे अर्हन्तने ते जाणे निज आत्मने। हम अरिहंतदेवके दर्शन तो मन, वचन, कायासे प्रतिदिन करते हैं। फिर आत्माको जाननेमें कहाँ कमी रह जाती है? थोडासा फरमाइये।

समाधानः- जो अर्हन्तको जाने वह आत्माको जानता है, ऐसा आता है। परन्तु अर्हन्तको ... जानना चाहिये। अर्हन्त भगवानके द्रव्य, गुण, पर्याय, अर्हन्तका स्वरूप जाने तो अपना स्वरूप जानता है। ऐसे अर्हन्तको पहचाने बिना ऐसे ही अर्हन्त भगवानको नमस्कार करता है, अर्हन्त भगवानका आदर करता है तो शुभभाव होता है, पुण्यबन्ध होता है, परन्तु अर्हन्तका स्वरूप नहीं जानता है तो आत्माका स्वरूप नहीं जानता।

अर्हन्तका स्वरूप जानना चाहिये। अर्हन्त भगवान कौन है? उनका आत्मा कौन है? उसमें क्या गुण है? उन्होंने-अर्हन्त भगवानने क्या प्रगट किया? कौन है अर्हन्त भगवान? ऐसे आत्माको पहचानना चाहिये। जो अर्हन्तके आत्माके पहचानता है, वह अपने आत्माको पहचानता है। जो आत्माको पहचानता है, वह अर्हन्त भगवानको पहचानता है। इसलिये निशदिन भगवानको नमस्कार करते हैं, लेकिन जानता नहीं है कि भगवान क्या है? भगवानका क्या स्वरूप है?

सब आत्मा भगवान जैसे ही हैं, परन्तु भगवानको पहचाने तो अपनेको पीछानता है। भगवानका स्वरूप पहचानना चाहिये। भगवान शुद्ध स्वरूप शुद्धात्मा, उसका दर्शन, ज्ञान, चारित्र प्रगट करके, साधना करके भगवानने केवलज्ञान प्रगट किया। भगवान आत्माके आनन्दमें रमते हैं। भगवानने पूर्ण वीतराग दशा प्रगट की है। भगवानका स्वरूप जाने