Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-३)

१६४ करते हैं। और भगवान अहो! भगवानने (पूर्ण स्वरूप प्रगट किया), ऐसा करके भगवानको याद करते हैं। भगवान आप इस स्वरूपरूप परिणमित हो गये। मैं आपकी क्या पूजा करुँ? क्या भक्ति करुँ? क्या स्तुति करुँ? उसे उत्साह आता है।

उसी प्रकार गुरु पर, शास्त्रमें ऐसा तत्त्वका वर्णन आता है, ओहो! इस तत्त्वका वर्णन किसने किया? आचायाने। उनकी भी महिमा आती है, तत्त्वकी महिमा आती है, गुरु जो साधना करते हैं, ओहो..! आत्माकी साधना करते हैं। मुझसे कुछ नहीं होता है। साधना करते हैं, उन्हें नमस्कार! उनकी क्या सेवा करुँ? और क्या पूजा करुँ? जगतमें अहो..! भगवानकी क्या पूजा करें? क्या महिमा करें?

शास्त्रमें (आता है), जिन प्रतिमा जिन सारखी, नमें बनारसीदास। बनारसीदास कहते हैं। जिन प्रतिमा जिनेश्वर समान ही है। उसमें कोई फर्क नहीं है। दर्शन करनेवालेको ऐसा ही हो जाये, उस वक्त ऐसा विकल्प नहीं आता कि यह भगवान हैं या प्रतिमा? उसे तो भावका आरोप ही हो जाता है कि भगवान हैं। अल्प भवस्थिति जाकी सो जिनप्रतिमा प्रमाणे जिन सारखी। जिसकी भवस्थिति अल्प है, वही जिनप्रतिमाको जिनेश्वर समान ही देखता है।

ओघे-ओघे रूढिगतरूपसे तो सब भगवानके दर्शन करते हैं। ऐसे नहीं, लेकिन अन्दरसे उत्साह आता है, ओहो..! भगवानने आत्माका स्वरूप प्रगट किया। जिस स्वरूपकी मैं इच्छा करता हूँ, जिसकी मुझे भावना है। उस स्वरूपको प्रगट करनेवाले जिनेन्द्र देव जगतमें सर्वोत्कृष्ट हैं, उनकी क्या महिमा करुँ? इसलिये उसे प्रतिमा पर एकदम प्रेम आता है। पूजा, भक्ति सबमें उसे प्रेम आता है। उनके कल्याणकके दिन आदि सब पर, उसे देखकर उसे उत्साह आता है।

मुमुक्षुः- सत शास्त्रके दर्शन करना, ऐसा आता है।

समाधानः- हाँ, शास्त्रके दर्शन करना। शास्त्र भी पूजनिक है। तत्त्वकी बात उसमें आती है। वस्तु स्वरूप (आता है)। आचायाने शास्त्र रचे हैं। जिसमें आत्म स्वरूपका वर्णन किया है। वह भी पूजनिक है, वह दर्शन करने योग्य है।

मुमुक्षुः- उसमें आत्म स्वरूपका वर्णन है इसलिये?

समाधानः- हाँ, आत्म स्वरूपका वर्णन है इसलिये पूजनिक है। इसलिये पूजा (करते हैं)। आत्म स्वरूपका वर्णन और आचार्य, मुनिराज जो आत्माकी आराधना करते हैं, उन्होंने वह शास्त्र रचे हैं। और उसमें आत्माका वर्णन है, इसलिये पूजनिक है।

मुमुक्षुः- जब पूजा करते हैं, तब आठ प्रकारके अर्घ्य चढाया जाता है, उसका क्या प्रयोजन है?

समाधानः- भगवान पर महिमा आती है। भगवान मैं क्या धरुँ? आपको तो