ट्रेक-
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करे। बाकी उसे सहज होना चाहिये। विचार क्या करना और कैसे करना, वह स्वयं
कहाँ अटकता है, और स्वयं क्या करता है, वह स्वयंको ही ग्रहण करना पडता है।
कहाँ अटकता है, और स्वयं क्या करता है, वह स्वयंको ही ग्रहण करना पडता है।
विचार करे कि यह शरीर तो जड है, कुछ जानता नहीं। वह तो जड है, उसमें जो पुदगलके....
मुमुक्षुः- बहुत सुन्दर कही। कुदरती बडा दिन है और बडी बात आ गयी।
समाधानः- ... अभ्यास करना है। उतना स्वयं कर सकता है। द्रव्य पर दृष्टि करके भेदज्ञानका अभ्यास (करे), आत्माका आश्रय लेना है। उसका आत्माका आश्रय ग्रहण करे तो उसमें विकल्प छूटनेका प्रसंग आता है। बाकी एकदम किसीको अंतर्मुहूर्तमें होता है वह अलग बात है।
मुमुक्षुः- ... समाधानः- हाँ, यह श्रद्धा तो बराबर रखना।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!