Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 62 of 1906

 

अमृत वाणी (भाग-२)

६२

मुमुक्षुः- बीजज्ञान यानी क्या? वह केवलको बीज ज्ञानी कहे...

समाधानः- केवलको बीजज्ञानी यानी सम्यग्दर्शनको बीजज्ञान कहते हैं। बीजज्ञान प्रगट होता है इसलिये केवलज्ञान होता है। आता है, वह केवलको बीजज्ञानी (कहे)। ... सच्चा मार्ग मिले न, गुरु बिना मार्ग कौन बताये? बिना गुरु अपने ही आप समझ करे, बिना समझके, तो जूठा मार्ग ग्रहण करता है। सच्चे प्रत्यक्ष गुरु मिले वे मार्ग बताये तो वह सत्य मार्ग पर चले। गुरु बिना उसे मार्ग कौन बताये? गुरु बिना होता नहीं।

मुमुक्षुः- ...

समाधानः- वह गुरु तो कुछ नहीं समझते, मात्र वेष धारण किया होता है। कुछ समझते नहीं।

मुमुक्षुः- सच्चे गुरुको किसे कहते हैं?

समाधानः- सच्चे गुरु, जिसे सम्यग्दर्शन हुआ हो, जिसे आत्माकी स्वानुभूति हुई हो और जो अन्दरसे यथार्थ... जैसे गुरुदेव यहाँ विराजते थे, उन्हें सम्यग्दर्शन स्वानुभूतिपूर्वक (हुआ था)। उनका ज्ञान, उनका ज्ञान भी कोई अलग था। वैसा ज्ञान हो, जिसकी अपूर्व वाणी हो, जो वाणीपरसे पहचाने जाये कि ये सच्चे गुरु है, आत्माकी ही बात करते हो। लेकिन आत्माकी बातें भी मात्र बोलने जितनी नहीं, अंतरसे बातें करते हो। आत्मस्पर्शी जिनकी वाणी हो, उसे गुुरु कहते हैं। उन्हें देखकर, उनकी वाणी सुनकर ऐसा लगे कि ये तो आत्माकी कोई गहरी बातें करते हैं। ये तो आत्मामें बसते हो ऐसा लगता है। ऐसा लगना चाहिये, तो गुरु कहते हैं। मात्र बाहरकी बातें करते हो, आत्माकी कोई बात नहीं हो, उसे गुरु कैसे कहें? गुरुदेवको आपने देखा नहीं है। देखा है?

मुमुक्षुः- देखा है। हमारे घर पधारे थे। समाधानः- उनकी वाणी सुनी है। मुमुक्षुः- घाटकोपर सर्वोदय होस्पिटलमें आये थे, तब सुना है। समाधानः- उनकी वाणी कोई अलग थी। लोगोंको ऐसा लगे कि कुछ अलग ही कहते हैं। आत्मस्पर्शी वाणी हो।प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो!

?? ?