Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 102.

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अमृत वाणी (भाग-३)

२०४

ट्रेक-१०२ (audio) (View topics)

समाधानः- ... सम्यक एकान्त..?

मुमुक्षुः- अनेकान्त भी एकान्त ऐसे निज पदकी प्राप्तिके लिये एक ही उपाय है। अनेकान्त भी सम्यक एकान्त ऐसे निज पदकी प्राप्तिके सिवा अन्य हेतुसे उपकारी नहीं है।

समाधानः- उपकारी नहीं है?

मुमुक्षुः- अन्य हेतुसे उपकारी नहीं है।

समाधानः- अनेकान्त भी सम्यक एकान्त ऐसे निजपदकी प्राप्तिके सिवा दूसरे प्रकारसे उपकारी नहीं है। सम्यक एकान्त। एक द्रव्य पर दृष्टि, बस! बाकी सब गौण है। अनेकान्तको जानकर एक वस्तु पर दृष्टि करनी, वही उसका हेतु है। एक द्रव्य पर दृष्टि रखी, वह उसका उपकार है। अनेकान्त वस्तु स्वरूपको जानकर एक सम्यक एकान्त एक द्रव्य पर दृष्टिका जोर, उस प्रकारसे ही वह उपकारी होता है। अन्य हेतुसे अनेकान्त वादविवादके हेतुसे, ऐसे नहीं, निज पदकी प्राप्तिके लिये ही उपकारी है, अन्य कोई हेतुसे उपकारी नहीं है। द्रव्य पर दृष्टि।

द्रव्यको पहचानकर स्वानुभूति प्रगट करनी उस हेतुसे वह उपकारी है। बाकी उसमें रुकना, विवाद, नयका .. उस हेतुसे वह उपकारी नहीं है। एक चैतन्यकी प्राप्तिके लिये उपकारी है। और वह वस्तुका स्वरूप है। उसमें द्रव्य पर दृष्टिका जोर, उस एकान्तको मुख्य रखे। अनेकान्त उसके साथ वर्तता है, उस प्रकारसे उपकारी है। अन्य कोई हेतु, आत्मार्थके सिवा अन्य हेतुसे उपकारी नहीं है। कहीं भी नय (लगा दे कि) अनेकान्त ऐसे भी होता है, ऐसे भी होता है। ऐसा अनेकान्त सम्यक अनेकान्त भी नहीं है। सम्यक अनेकान्त तो एकान्तको रखकर उसके साथ जो अनेकान्त हो, वह सम्यक अनेकान्त है। और सम्यक एकान्तके साथ सम्यक अनेकान्त होता ही है। तब उसका सम्बन्ध है। नय ऐसे होती है, ऐसे होती है, उस प्रकारसे सम्यक अनेकान्त भी नहीं है।

मुमुक्षुः- प्रत्येक नयकी विचारणाके समय उसे प्रयोजन लक्ष्यमें रहना चाहिये।

समाधानः- अपनी ओरका प्रयोजन, आत्माको साधनेका होना चाहिये। वस्तुका असली स्वरूप क्या है, उसे रखकर सब होना चाहिये। उसके साथ मेलयुक्त होना चाहिये।