Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-२)

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जैसे स्फटिक है, बाहर होते हैं न? हरे-पीले फूल, उसके भाँति। कर्म उसमें निमित्त है इसलिये घनघाति कहते हैं। कुछ कर्म ऐसे होते हैं कि जो गुणका घात नहीं करते, मात्र शरीर प्राप्त हो, आयुष्य होता है, उन सब कमाको घनघाती नहीं कहते, उसे अघाति कहते हैं। वह आत्माके गुणोंका घात नहीं करते। शरीर मिले, आयुष्य हो उन सबको अघाति कहते हैं।

मुमुक्षुः- ...छठ्ठा आरा आया, मतलब?

समाधानः- उसे काल कहते हैं, आरो यानी चतुर्थ काल, पंचम काल, ऐसे काल। जगतमें ऐसा काल आता है कि जिसमें ऐसे जन्म लेते हैं कि उसे चतुर्थ काल (कहते हैं)। अच्छे-अच्छे जीवका जन्म होता हो, जो मोक्षमें जानेवाले हो, ऐसी उनकी पात्रता हो, केवलज्ञान प्राप्त करे, कोई सम्यग्दर्शन (प्राप्त करे), कोई मुनि बने, ऋद्धिधारक मुनि बने, ऐसे कालको चतुर्थ काल कहते हैं। जिसमें तीर्थंकरका जन्म हो, जिसमें केवलज्ञानी विचरते हो, उसे चतुर्थ काल कहते हैं-चतुर्थ आरा। जिसमें भगवान तीर्थंकरका जन्म हो, उसे चतुर्थ-अच्छा काल कहते हैं। कहा न? अच्छा काल आया है। लोकमें ऐसा कहते हैं न कि अपने लिये यह अच्छा काल है कि यह पुण्यका काल आया तो अब उन्नति होती है। किसीका धन कम हो जाये तो कहे कि अब हिन काल आया, किसीको शरीरमें रोग आये तो कहे कि हिन हो गया है, अनुकूलता होवे तो कहे अब उन्नतिका समय आया। वैसे चतुर्थ काल। आरो यानी चतुर्थकालमें अच्छे- अच्छे जीवोंकी उन्नति होती है इसलिये उसे चतुर्थ काल, चतुर्थ आरा कहते हैं।

मुमुक्षुः- उसमें भी मर्यादा होती होगी?

समाधानः- हाँ, कुछ काल तक ऐसे जीवोंका ही जन्म होता है। अच्छे जीव होते हैं वह दूसरे क्षेत्रमें जन्म लेते हैं। पंचमकाल आये तो उसमें अमुक प्रकारके जीव जन्म लेते हैं। धर्म तो रहता है, अमुक प्रकारका धर्म तो रहता है, परन्तु देखिये, अभी तो कपट, मायाचारी आदि बढ गया है। ऐसे लोगोंका जन्म हो उसे पंचमकाल कहते हैं। पंचम आरा। छठ्ठे आरेमें तो उतना होगा कि हिंसा बढ जायेगी। उसे छठ्ठा काल कहते हैं।

समाधानः- ... आत्मा बन्धा नहीं है। अबद्ध यानी बन्धा हुआ नहीं है। गाथामें है, हरिगीत है न? आत्मा किसी भी कर्मसे वास्तविकरूपसे बन्धा हुआ नहीं है, आत्मा भिन्न ही है। मकडीकी जाल होती है उसमें मकडी भिन्न ही है। वैसे आत्मा भिन्न ही है। कर्मसे वैसे नहीं बन्धा है कि वह भिन्न नहीं हो सके। अन्दर भिन्न ही है। अबद्ध है, अस्पृष्ट है। वह किसीसे स्पर्शित नहीं हुआ है। जैसे कमल पानीमें हो, पानीमें कमल हो तो ऐसे दिखता है कि मानो पानीमें और कीचडमें लिप्त हो गया