Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 640 of 1906

 

ट्रेक-

१०२

२०७

नमक छिडके तो भी आँखका कोना लाल न करे, तो भी वह समकित नहीं है। समकित कोई अभूतपूर्व वस्तु है। लाखों-क्रोडोंमे किसीको ही होता है। अब उनकी बात ... लगती है। अनन्त कालमें प्राप्त न हो ऐसा ... दररोज परदेसी राजा या .. सन्यासी, कोई भी अधिकार पढे, पहले उसकी प्रस्तावना आधा घण्टे समकितके स्वरूपसे करते हैं। उस वक्त ऐसा (कहते थे)।

मुमुक्षुः- पूर्व संस्कार, जागृति...

समाधानः- उनका प्रभावनाका योग आदि सब अलग, सब अलौकिक था। उनकी वाणी भी अलग और उनका ज्ञान भी अलग, सब अतिशयतावाला था।

मुमुक्षुः- आप तो यह कहते हो, लेकिन मैं तो डाक्टर हूँ, मुझे तो उनकी .. भी अलग लगती थी।

समाधानः- ... पुण्य और पवित्रता.

मुमुक्षुः- सबका योग था। आपने कहा न कि महा योग चारों ओरका। बाह्य और अभ्यंतर।

समाधानः- .. ऐसा ही कहे न, दूसरा क्या कहें? पुण्यके योगसे सान्निध्य मिला और गये वह भी.. पुण्य और पाप दोनों साथमें हैं। लेकिन उन्होंने जो दिया वह ग्रहण करनेका है।

मुमुक्षुः- तो-तो पाप कहाँ रहा? पुण्य भी न रहे और पाप भी न रहे।

समाधानः- उन्होंने कहा है, वह ग्रहण कर लेना है। हजम हो उतना खाये। नहीं तो खाये कहाँ-से?

मुमुक्षुः- राजकोट..

समाधानः- भावनगर तक भी नहीं जाती हूँ।

मुमुक्षुः- ...

समाधानः- गुरुदेवने बहुत दिया है। स्वयंका करना है। अपने यहाँ अच्छा है। यह गुरुदेवका स्थान है। यहीं हमें अच्छा लगता है। कोई कारण बिना, निष्कारण कहीं जानेका मन नहीं होता।

मुमुक्षुः- ...

समाधानः- .. प्राप्त करे तो हो सके ऐसा है। स्वयं ही नहीं करता है। निज नयनकी आलससे, गुरुदेव कहते थे, हरिको निरखता नहीं।

मुमुक्षुः- हिम्मतभाई ऐसा क्यों कहते हैं, डिब्बा खुलता नहीं। खोलता नहीं, ऐसा कहिये।

समाधानः- ऐसा कहते हैं, बाकी स्वयं ही नहीं खोलता है।