Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 104.

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अमृत वाणी (भाग-३)

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ट्रेक-१०४ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- शुद्धनयका विषय त्रिकाली द्रव्य निष्क्रिय माने क्या?

समाधानः- शुद्धनयका विषय त्रिकाली निष्क्रिय यानी उसमें एक परमपारिणामिकभाव द्रव्य अनादिअनन्त है। उस पर दृष्टि कर, ऐसा कहना है। शुद्धनयका विषय परमपारिणामिकभाव है। निष्क्रिय अर्थात उन सबका एक ही (भाव) है, उसमेंसे पर्याय निकल नहीं जाती। तू एक स्वरूप आत्मा है, उस पर दृष्टि कर, बस, ऐसा ही कहना है। उसमें पर्याय है, परन्तु तू द्रव्यको पहचानता नहीं है। उस पर दृष्टि कर। एक शुद्धनयका विषय एक द्रव्यकी मुख्यता है। निष्ष्क्रिय एक द्रव्यदृष्टि, उसमें किसी भी प्रकारका फेरफार नहीं है। फेरफार रहित एक द्रव्य अनादिअनन्त है, उसे तू पहचान, ऐसा कहना है।

इसलिये उसमें पर्यायकी परिणति अथवा उसमें कोई कार्य ही नहीं होता है, ऐसा उसका अर्थ नहीं होता। सिद्ध भगवानमें परिणति है। सिद्ध भगवानमें भी पर्यायें होती हैं। उनमें भी ज्ञानकी, दर्शनकी, चारित्रकी सब पर्यायें सिद्ध भगवानमें हैं। उसमेंसे निकल नहीं जाती। द्रव्य-गुण-पर्याय वह वस्तुका स्वरूप है।

एक द्रव्यको पहचान, द्रव्य पर दृष्टि कर। द्रव्यका आलम्बन ले। द्रव्य पर दृष्टि करनेसे, उसका आलम्बन लेनेसे उस पर जोर आता है। जो पर्याय पलटती है, उस पर आश्रय नहीं लिया जाता। आश्रय द्रव्य जो अनादिअनन्त शाश्वत स्थिर है, उसका आश्रय लिया जाता है। जो पलटता रहता है, उसका आश्रय नहीं लिया जाता। लेकिन उसमेंसे पर्याय निकल नहीं जाती। सिद्ध भगवानमें परिणति होती है। केवलज्ञानकी पर्याय, ज्ञान, दर्शन, चारित्र आदि सब पर्याय सिद्ध भगवानमें हैं। पर्याय रहित द्रव्य है ही नहीं। पर्याय रहित द्रव्यका स्वीकार करता है, वह द्रव्यका स्वरूप जानता नहीं है। पर्याय रहित द्रव्य होता ही नहीं।

परन्तु पर्यायको मुख्य करके द्रव्यको भूल जाता है। अनादि कालसे पर्यायकी मुख्यता करके द्रव्यको भूल गया। इसलिये जिसका आश्रय लिया जाता है, ऐसा आश्रयभूत जो द्रव्य है, उस द्रव्यको भूल गया। इसलिये द्रव्यकी मुख्यता करके द्रव्यका आश्रय ले। पर्यायका आश्रय नहीं लिया जाता। पर्यायको ख्यालमें रख, उसका ज्ञान कर।

मुमुक्षुः- पर्यायको गौण करता है, पर्याय कहीं चली नहीं जाती।