२४६ गहनता दिखती है। वास्तवमें तो शर्म आती है कि कुछ करते नहीं है, उन्होंने तो क्या बाकी रहा है? जो कुछ तुझे करना है, वह सब आपने बता दिया है।
समाधानः- पूछनेका तो यहाँ बैठे हैं इसलिये पूछे।
मुमुक्षुः- अपनी ऐसी भूमिका कहाँ है कि पूछना..
मुमुक्षुः- नहीं, वैसे तो .. इस मूल बाबतमें तो आपने जो स्पष्टीकरण किया वह तो इतने सुन्दर प्रकारसे ख्यालमें आते रहता है कि यदि पूरा दिन यह करते रहे तो दूसरा कुछ करनेका ही नहीं है। जो प्रयोजन साधना है वह प्रयोजन तो इसीसे...
समाधानः- सधे ऐसा है।
मुमुक्षुः- .. छूटनेके समय उसकी क्या स्थिति है? और छूटनेके बाद क्या गति होती है?
समाधानः- सम्यग्दृष्टिको तो शरीर भिन्न और आत्मा भिन्न, उसका भेदज्ञान है। इसलिये उसे अन्दरसे भिन्न आत्मा न्यारा रहता है। उसे कोई भी विकल्प आये तो विकल्पसे भिन्न रहता है। थोडी उसे अमुक प्रकारकी अस्थिरता हो तो उसके कारण अल्प राग-द्वेष होते हैं, परन्तु वह अल्प गौण होते हैं। लेकिन वह भिन्न रहता है। उसे भेदज्ञान (वर्तता है)। शरीरमें वेदना हो तो उससे भिन्न रहता है, जो विकल्प आये उससे भिन्न रहता है। इसलिये उसे अन्दर भेदज्ञान होता है। इसलिये उसे ज्ञायककी दशा, ज्ञायककी धारा चलती है। उसे स्वानुभूति होती है। ज्ञायककी धारा चलती है।
इसलिये सम्यग्दृष्टिकी गति तो उसे देवगति होती है, सम्यग्दृष्टि हो उसकी। और संसारी जीव हैं, उसे जो अज्ञान दशा है और आत्माको भिन्न नहीं किया है और एकत्वबुद्धि है, शरीर भिन्न, आत्मा भिन्न, विकल्प मेरा स्वभाव नहीं है, उससे भिन्न नहीं पडा है और एकत्वबुद्धि है, इसलिये शरीरके साथ एकमेक है और ज्ञायकको भिन्न नहीं जानता है, इसलिये एकत्वके कारण मन्द कषाय हो, यदि आकुलता बहुत हो तो उसकी गति जैसा उसका आयुष्यका बन्ध हो उस अनुसार होता है। तिर्यंच हो, पशु हो, ऐसा होता है। परन्तु मन्द कषाय हो और अच्छे परिणाम रखे तो उसे देव या मनुष्यकी गति होती है। परन्तु उसे भेदज्ञान, भेदज्ञान नहीं होता है।
उसे अन्दरसे आत्मा भिन्न नहीं रहता है और सम्यग्दृष्टिको भिन्न रहता है। उसे शुभभाव हो तो उसकी गति तो देव और मनुष्यकी होती है, परन्तु सम्यग्दृष्टिको तो नियमसे आगे जानेपर स्वरूप रमणता बढती जाती है, मनुष्य हो तब केवलज्ञान प्राप्त करता है। उसे तो वह होता है।
लेकिन इसे यदि अन्दर रुचि हो आत्माको भिन्न करनेकी तो आगे जानेपर वह आगे बढ सकता है। लेकिन सम्यग्दृष्टि तो नियमसे आगे बढता है। और केवलज्ञानी