२६४ परन्तु अंतरमें हो उसे बाहर होता है, ऐसा सम्बन्ध है। बाहरसे किसीने भेष ले लिया हो, बाहरसे किसीने प्रतिज्ञा ले ली, बाहरसे ले ली, परन्तु अंतरमें जो भाव (होना चाहिये वह नहीं होता)। उपवासका पच्चखाण ले लिया, परन्तु अन्दर जो उपवास होना चाहिये, अंतर आत्माको पहचानकर, वह हुआ नहीं हो। बाहरसे ले, परन्तु जिसे अन्दर हो उसे बाहर होता ही है। ऐसा सम्बन्ध है।
मुमुक्षुः- देश-कालके कारण कुछ चीजें न हो सके, ऐसा नहीं हो सकता?
समाधानः- देश-कालके कारण तत्त्वमें फर्क नहीं पडता।
मुमुक्षुः- तत्त्वमें तो न पडे, अन्दर तो उसकी वर्तना बराबर है। छठ्ठे-सातवेँ तक अणगार हो वह भी पहुँच सके या न पहुँच सके?
समाधानः- छठ्ठे-सातवें गुणस्थानमें हो, उसे बाहरमें तो ऐसी ही होता है। शास्त्रमें आता है वैसा। देश-कालके कारण (बदलता नहीं)।