Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-३)

२७६ यानी बाहरका जाने, इसलिये उसकी विशेषता है, ऐसा नहीं है। स्वयं स्वयंमें लीन हो जाते हैं। फिर तो उसका स्वभाव है इसलिये सहज ज्ञात होता है। एक समयमें सब जान ले ऐसा उपयोग हो जाता है। जो अंतर्मुहूर्तका उपयोग था, जो अंतर्मुहूर्तमें ज्ञात होता था, उसके बजाय एक समयमें जाने ऐसा उसका उपयोग हो जाता है। एक समयमें ज्ञात हो जाय ऐसा उपयोग हो जाता है। अबुद्धिपूर्वकमें मन साथमें आता था इसलिये उसे अंतर्मुहूर्त जाननेमें समय लगता था। मन छूट गया, सहज ज्ञान हो गया इसलिये एक समयमें सब ज्ञात हो जाता है। अपना स्वरूप स्वानुभूतिमें जिस स्वरूप स्वयं परिणमता है, प्रत्यक्षपने उसे उपयोगात्मकपने ज्ञानमें आ जाता है। और दूसरे बाह्य ज्ञेय भी साथ-साथ आ जाते हैं।

अनन्त सिद्ध, अनन्त साधक, अनन्त संसारी जैसे हैं वैसे अनन्त जड द्रव्य सब सहजपने ज्ञात हो जाता है। उसमें उसे कोई विकल्प नहीं है। स्वानुभूति प्रधान अपना उपयोग है। वह सब उसमें ज्ञात होता है। आता है न? अणु रेणु वत। कहाँ है लोकालोल, वह अणुकी भाँति है। उसे कोई बोझ नहीं है, कुछ नहीं है। उसकी उसे कोई महत्ता नहीं है। स्वयं स्वानुभूतिमें प्रत्यक्षरूपसे वीतरागदशारूप परिणमित हो जाते हैं।

मुमुक्षुः- ..

समाधानः- अनन्त गुना आनन्द बढ जाता है। फिर पलटता नहीं, बाहर जाता नहीं, उसे उपयोगका फेरफार होता नहीं। अनन्तगुना बढ जाता है। जो है सब अनन्त है। वीतरागदशा अनन्ती, आनन्द अनन्त, ज्ञान अनन्त, सब अनन्त है। उसकी परिणति अनन्तगुनी हो जाती है। जो स्वभाव था उस रूप अनन्त अनन्तता प्रगट हो जाती है।

मुमुक्षुः- ... अन्दर निर्विकल्प उपयोग ज्यादासे ज्यादा कितना रहता होगा?

समाधानः- ऐसा कोई कालका नियम नहीं आता है। श्रेणि लगानसे पहले न? वह तो अंतर्मुहूर्तका उसका काल है। फिर कितना अंतर्मुहूर्त वह कुछ शास्त्रमें आता नहीं है। अंतर्मुहूर्तका काल है। क्षण-क्षणमें जाता है-आता है, जाता है-आता है। आता है न? हजारों बार आते हैं, जाते हैं।

मुमुक्षुः- ज्यादा समय स्थिर नहीं हो सकते हैं?

समाधानः- एकदम उपयोगमें वेग आ जाता है, श्रेणि लगाते हैैं। एकदम अन्दर स्थिर हो जानेका वेग है। एकदम उपयोग त्वरासे हजारों बार आता है-जाता है।

मुमुक्षुः- वेगसे कैसे आता है?

समाधानः- श्रेणी लगानेसे पहले। ऐसा शास्त्रमें आता है। बाकी मुनिओंका आता है, हजारों बार आते हैं-जाते हैं, ऐसा शास्त्रमें आता है। वह तो शास्त्रमें जैसा हो