अमृत वाणी (भाग-३)
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समाधानः- उतना वाणीमें निकला, उन्हें ज्ञानमें... श्रुतकी लब्धि। एक शब्दमें चौदह ब्रह्माण्ड खडा कर दे ऐसी (वाणी)। भगवानकी वाणीमें दिव्यध्वनिमें सब आये, वैसे उनके एक शब्दमें सब आ जाता था। चारों पहलूसे आता था।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!