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हो गया। फिर पुरुषार्थ करुँ, नहीं करुँ, ऐसा कोई विकल्प नहीं है, वैसा कोई ध्यान भी नहीं है। केवलज्ञान प्रगट हो तो कृतकृत्य दशा हो गयी। सिद्ध भगवानको कृतकृत्य हो गये, पुरुषार्थ करुँ ऐसा नहीं है। वैसे निर्विकल्प अवस्थामें मैं पुरुषार्थ करुँ, ऐसा नहीं है। पुरुषार्थ जो हुआ उसका फल आ गया। वह आंशिक फल आया। अभी पूर्ण नहीं है। उसका आंशिक फल आ गया। इसलिये उसे उस वक्त पुरुषार्थ करता है, ऐसा नहीं है।
पुरुषार्थका फल, जो शुद्धात्माका शुद्धात्माके वेदनरूप उसका फल आ गया। फिर बाहर जाता है तो वह अंतर्मुहूर्तकी स्थिति है। साधकदशामें पुरुषार्थ ... उसका आंशिक फल है। पुरुषार्थ प्रगट हो गया, आंशिक प्रगट हो गया वह वैसा ही रह जाता है। बुद्धिपूर्वकका कोई पुरुषार्थ नहीं है। भिन्न हो गया। वह पुरुषार्थका फल आ गया। पुरुषार्थरूप परिणति हो गयी।
श्रेणी चढते हैं उस वक्त उसे अबुद्धिपूर्वक पुरुषार्थ होता है। बुद्धिपूर्वक नहीं होता। अबुद्धिपूर्वक श्रेणी चढते हैं। अबुद्धिपूर्वक पुरुषार्थ है, बुद्धिपूर्वकका नहीं है। परिणति अपनी ओर झुकती जाती है। पुरुषार्थकी ओर ध्यान ही नहीं है। जिस रूप है वह वैसे ही रह गया। जो स्वरूप है, उस रूप स्वयं रह गया। अर्थात अपेक्षासे पुरुषार्थ है, परन्तु वह पुरुषार्थका फल है।
मुमुक्षुः- स्वरूपमेंसे बाहर आते हैं ऐसा कहते हैं, उस अपेक्षासे वह कमजोरीसे बाहर आते हैं।
समाधानः- वह पुरुषार्थ अमुक प्रकारका था। आंशिक निर्विकल्प अवस्था हो, फिर बाहर ही आता है। वैसी उसकी दशा है। वह पुरुषार्थ थोडा ही था। केवलज्ञान जितना पुरुषार्थ नहीं था, इसलिये वह बाहर आता है। स्थिर होनेका थोडा पुरुषार्थ था। अन्दर स्थिर हुआ, स्थिर होकर बाहर आता है। उसकी स्थिति ही अंतर्मुहूर्तकी है। उपयोगकी स्थिति अंतर्मुहूर्तकी ही है। पुरुषार्थ है लेकिन वह बल, चैतन्यकी ओरका बल जोरदार है, वह बल है। वह बल ऐसे ही रह गया। सहज है। पुरुषार्थ करनेकी कोई कृत्रिमता नहीं है।
अपनी डोर अपनी ओर खीँचता रहता है, वह कृत्रिमता नहीं है, सहज है। पुरुषार्थका बल सहज रहता है। अपनी ओर परिणति आ गयी सो आ गयी, फिर बुद्धिपूर्वकका पुरुषार्थ नहीं है। जागृति है। पुरुषार्थ प्रगट हो गया, लेकिन अभी पूरा नहीं है, अधूरा है। इसलिये बाहर आते हैं। क्षणमात्रके लिये सब छूट गया, परन्तु फिर बाहर आता है। दृष्टिका विषय है वह, बाहर जाय या अन्दर रहे, वह टिकी रहती है। लीनता अमुक क्षणकी ही थी, वह छूट गयी। फिरसे बाहर आते हैं।