Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 5.

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 8 of 1906

 

अमृत वाणी (भाग-२)

ट्रेक-००५ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- ... सामान्य जीव जो दिव्यध्वनि सुनते होंगे, वे भी वही बात सुनते हैं और कम समझते हैं ऐसा है कि कोई दूसरी बात है?

समाधानः- ... भगवान कहते हैं ऐसा समझते हैं लेकिन सबकी शक्ति अनुसार समझते हैं, उसके अनुसार ग्रहण करते हैं।

मुमुक्षुः- बात तो एक ही है।

समाधानः- बात एक (है)। भगवानकी बहुत अपेक्षासे बात आती हो और जिसकी शक्ति हो उस अनुसार समझते हैं।

मुमुक्षुः- बहुत बार ऐसा कहनेमें आता है कि उत्तर प्राप्त हुआ, वह क्या है?

समाधानः- प्रश्न तो कोई दिव्यध्वनिका काल हो तब नहीं, परंतु दूसरे प्रसंगोंमें वह खास-खास प्रश्न पूछते हैं। दूसरे प्रश्न नहीं पूछते। कोई गणधर, कोई मुनि, कोई चक्रवर्ती, कोई ऐसे राजा (हो तो) वैसे प्रश्न पूछते हैं।

मुमुक्षुः- दूसरे कोई जीव प्रश्न नहीं पूछ सकते?

समाधानः- उसे प्रश्न उत्पन्न हो तो उसे समाधान ही हो जाये। प्रश्न पूछना रहता ही नहीं। जिसे जो प्रश्नका विकल्प होता है, वह भगवानकी वाणीमें सब आ जाता है। उसके प्रश्नका समाधान ही हो जाता है। दिव्यध्वनिमें सब आ जाता है। जिसे जो प्रश्न विकल्प उत्पन्न हो, वह सब आ जाता है।

यहाँ गुरुदेवकी वाणी कैसी थी? उनकी वाणीमें जिसे जो प्रश्न उत्पन्न हो वह गुरुदेवकी वाणीमें आ जाता। भगवानकी दिव्यध्वनिमें (ऐसा होता है)। जिसे प्रश्न उत्पन्न होते हो वह सब भगवानकी वाणीमें समाधान आ जाता है। प्रश्न करने जैसा किसीको रहता नहीं।

मुमुक्षुः- प्रश्न दूसरे महाराज पूछते हैं, और वह बात इनको सुनाई देती है? सामान्य जीवोंको भी सुनाई देता है कि इन्द्र हो उनको ही सुनाई देता है?

समाधानः- नहीं, सबको समझमें आता है। सुनाई देता है?

मुमुक्षुः- जो-जो प्रश्नका उत्तर हो, वह दूसरे जीवोंको भी (सुनाई) देता है?

समाधानः- हाँ, सुनाई देता है। ग्रहण उसकी शक्ति अनुसार करते हैं।