Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

१३९ भावसे मुक्ति अन्दर स्वभावमें होती है। भगवान जैसा है। सब शास्त्रमें आता था, लेकिन दृष्टि किसके पास थी? दिगम्बर पढ लेते होंगे, परन्तु दृष्टि (नहीं थी)। मोक्षमार्ग तो बस धोख जाना। दर्शन किसे कहते हैं, ज्ञान किसे कहते हैं और चारित्र किसे कहते हैं। नव तत्त्वकी श्रद्धा, उसका ज्ञान वह ज्ञान और पंच महाव्रत और अणुव्रत पाले वह चारित्र। ... स्थानकवासीमें दूसरा था, देरावासीमें दूसरा था। इतना शास्त्रका ज्ञान है, इसे गोम्मटसार आता है। आत्माकी प्राप्ति नहीं है...

.. स्वभाव था वह प्राप्त हुआ, उसमें क्या है? पूर्णता हो वह करना है। सबकी दृष्टि कितनी बदल दी! निमित्त कर देता है, देव-गुरु-शास्त्र कर देते हैं, इससे ऐसा होता है, उसके बजाय तू तैयार हो तो होता है। सब द्रव्य स्वतंत्र है। कोई किसीको कर नहीं देता। इसलिये तू तेरा उपादान तैयार कर। भक्ति भी आये कि प्रभु! आपने मुझे समझाया, आपने उपकार किया। मेरा उपादान तैयार हो तो होता है, ऐसा ज्ञान भी रखना। गुरुने मार्ग बताया, ऐसी भावना बराबर हो। हम कुछ नहीं जानते थे, आपने ही मार्ग दिया, आपने ही सब दिया, आपने ही आत्मा दिया। भावनामें ऐसा आये, भाव ऐसे आये। लेकिन होता है अपनेसे ऐसा समझे। दिया गुरुने, हमारे पास दृष्टि नहीं थी, दृष्टि देनेवाले आप हैं, हम कुछ नहीं जानते थे। हम कुछ नहीं जानते थे। परन्तु उपादान-निमित्तका सम्बन्ध हुआ।

वह सब द्रव्य-गुण-पर्यायमें उलझ गये थे। ... गुण और पर्याय, सब उसमें आ जाता है। .. एक द्रव्य पर दृष्टि करे तो उसमें सब आ जाता है। ... कुन्दकुन्दाचार्य ऐसे हाथ जोडकर खडे हैं। बराबर पूर्व दिशामें.. जैसे यहाँ हमने हाथ जोडकर रखे हैं, वैसे ही उसमें हाथ जोडे हैं। हमने किया वह नया नहीं है, पुराने समयमें भी ऐसा किया हुआ है। ... सीमन्धर भगवानका मालूम नहीं था। शिलालेक पढकर... अभिषेक किया करते थे। गुरुदेवने सब शिलालेख पढकर कहा। ... मानुषोत्तर पर्वत आया तो विमान अटक गया। मनुष्य जा नहीं सकते हैं। ... आ गया, तो वहाँ मुनि बन गये। ... मानो सच्चा हो ऐसे। समवसरणमें कोई वनस्पति नहीं होती है। ऐकेन्द्रिय जीव हों, ऐसा कुछ नहीं होता। वहाँ कुछ ऊगा नहीं होता। ... सुगन्ध... जात- जातका पूजन करे और जात-जातकी स्तुति करे और बोलनेकी शक्ति, सब रचना करनेकी शक्ति, गांधर्व गीत गाये उन्हें गीत गानेकी शक्ति...

भगवान तीर्थंकर .... शाश्वत प्रतिमाएँ हैं और सब देवोंसे पूजित हैं। ... देव जिसकी पूजा करते हैं। देवोंकी स्तुति, भक्ति, पूजा, वाजिंत्र होते हैं। आत्मा द्रव्य कैसा है, तीर्थंकरका द्रव्य उसमें आ जाता है। वह सब प्राप्त करने जैसा है। ... देवों द्वारा पूज्य ... आत्मा भी वैसा है। इसलिये तू तेरे आत्माको प्राप्त कर। आत्माको बता