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ट्रेक-
१३९ मंगल-मंगल कार्य हुए। जहाँ पधारे वहाँ मंगल, जहाँ विराजते हों वहाँ मंगल, आत्माकी बातें हों... शास्त्रके अर्थ इतने बरसोंमें किसीने नहीं किये होंगे। समयसार, प्रवचनसार सबके ऊपर कितने अर्थ किये! इक शब्दका इतना विवरण करनेवाले इतने बरसोंमें (कोई नहीं हुआ)। इतनी शक्ति गुरुदेवकी! जहाँ विराजे वहाँ मंगल।
मुमुक्षुः- गुरुदेव स्वयं मंगल थे। समाधानः- मंगलमूर्ति थे।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!