१४१ बहुतोंको पूर्व भवके संस्कार होते हैं। बहुतोंको नहीं होते हैं। जब करता है तब सर्वप्रथम होता है। पूर्वमें जब तैयारी की तब सर्वप्रथम ही था। उसमें कोई कमी रहे तो दूसरे भवमें आये तो पूर्वके संस्कारसे प्रगट हुआ ऐसा कहनेमें आता है। परन्तु जब करे तब तो सर्वप्रथम ही होता है। जब करे तब पहला होता है। पूर्वमें पूरा नहीं हुआ इसलिये दूसरे भवमें आता है तो उसे पुरुषार्थ शीघ्रतासे होता है अतः पूर्वके संस्कार हैं, ऐसा कहनेमें आता है। शीघ्रतासे होता है इसलिये ऐसा कहनेमें आता है कि पूर्वके संस्कार हैं।
जिसे करना हो उसे तो पहली तैयारी होती है। प्रथम जीव अनादि कालसे जन्म- मरण करता आ रहा है, उसमें कोई देव अथवा गुरुकी वाणी मिले, परन्तु जब तैयारी करनी हो तो प्रथम ही तैयारी (होती है), कहीं भी करे तब पहली तैयारी होती है। इस भवमें की हुयी तैयारी... पूर्वभवमें उसे विशेष तैयारी हो तो पूर्वके संस्कार है, ऐसा कहनेमें आता है।
मुमुक्षुः- आत्माके पास साधन है ऐसा नहीं है?
समाधानः- साधन कोई नहीं है, स्वयं ही है, आत्मा स्वयं ही है, स्वयं ही अपना साधन है। स्वयं अपनी तैयारी (करे)। अपनेमें जिस प्रकारकी योग्यता होती है उस प्रकारकी पर्यायें प्रगट होती है। स्वयं ही स्वयंका साधन है।
मुमुक्षुः- बहिर्लक्षी ज्ञानोपयोग हो और अज्ञानीका बहिर्लक्षकी ज्ञानोपयोग हो, उसमें कोई अंतर होता होगा?
समाधानः- उसमें फर्क है। अज्ञानीको एकत्वबुद्धि है बाह्य उपयोगमें। आत्माका ज्ञान नहीं है और एकत्वबुद्धि है। मैं कौन और पर कौन, यह मालूम नहीं है। परके साथ एकत्वबुद्धि हो रही है। ज्ञानीको भेदज्ञान वर्तता है। अपना स्वपदार्थ ज्ञायकके साथ एकत्वबुद्धि है और परके साथ विभक्त है कि ये परपदार्थ सो मैं नहीं हूँ, ऐसी उसे परिणति वर्तती है कि मैं यह चैतन्य ज्ञायक भिन्न हूँ और ये परज्ञेय भिन्न हैं। ऐसी भेदज्ञानकी परिणति प्रगट होती है और भेदज्ञानकी परिणतिके साथ उसका उपयोग बाहर होता है। परन्तु परिणति तो उसकी चलती ही रहती है कि मैं ज्ञायक हूँ और यह भिन्न है। उसमें उसकी दृष्टि और उसकी परिणतिमें पूर्व और पश्चिम जितना अंतर है। स्वरूप सन्मुख है और ज्ञेयको जानता है। और उसकी (-अज्ञानीकी) तो दिशा ही परसन्मुख है।
मुमुक्षुः- ... उसमें नारियलमें जैसे गोला अलग है, ऐसा कुछ होता होगा?
समाधानः- स्वयं भिन्न पड जाता है। चैतन्यतत्त्व अकेला निराला स्वयं अपनी स्वानुभूति करता है। स्वयं अपने आनन्दादि अनन्त गुणोंका वेदन करता है। एकदम निराला