९० होनेवाले हैं, ऐसे कोई विचार नहीं आते थे। अंतरमेंसे ऐसा आया कि भगवानकी वाणीमें आया कि ये राजकुमार तीर्थंकर होनेवाले हैं। १९९३ के वर्षमें हीराभाईके बंगलेमें गुरुदेव थे, तबकी बात है।
... समयसार, प्रवचनसार आदि शास्त्र पढते थे। पुराण आदि तो शुरूआतमें पढनेमें भी नहीं आये थे। पुराणोंमें क्या आता है, समवसरणका क्या वर्णन आता है, ऐसा कुछ पढनेमें नहीं आया था। वह सब तो बादमें पढा। ऐसा हुआ कि गुरुदेवको कहनेसे... हिंमतसे कहा। गुरुदेव अन्दर क्या मानेंगे और कैसे मानेंगे? फिर भी हिंमत करके कहा। गुरुदेवको प्रमोद हुआ। वह तो स्वयं ही मानते थे।
गुरुदेव प्रवचनमें बाद शुरू-शुरूमें कहते थे, त्रिलोकीनाथने टीका लगाया, अब क्या चाहिये? लेकिन जिसे मालूम नहीं हो (उसे पकडमें नहीं आये)। गुरुदेव उस वक्त तो बहुत गंभीर, सब अन्दर रखना था, बाहर नहीं कहना था। बादमें गुरुदेव बाहरमें कहते। पहले तो खास-खास मुमुक्षु हो उसे कहते थे। अन्दर रखनेका बहुत कहते थे। यहाँ तो कुछ कहनेका था ही नहीं। जिसे मालूम हो उसे ही पकडमें आये कि गुरुदेव क्या कहते हैं।
गुरुदेव तीर्थंकर साक्षात भगवान होंगे, वह बात अलग, उस समयकी बात अलग। जब होंगे वह तो महाभाग्यकी बात कि वह प्रसंग बने। लेकिन अभी गुरुदेव अपने सामने जिन प्रतिमाके रूपमें आये तो उसमें मुद्दत क्यों डालनी? अभी ही पूजा, भक्ति गुरुदेवकी करें, हमारे गुरुदेव भाविके रूपमें उनकी प्रतिमा विराजमान करनेका प्रसंग बना तो उसकी मुद्दत नहीं होती कि अभी ऐसा नहीं कर सकते। पूजा, भक्ति अन्दरसे आये बिना रहे ही नहीं। ऐसी मुद्दत डालनेकी बात ही नहीं होती।
मुमुक्षुः- भाविमें होनेवाले हैं, हम तो वर्तमानमें ही तीर्थंकर मानकर हमारे यहाँ स्थापना करते हैं।
समाधानः- गुरुदेवका प्रभाव, उनकी वाणी, बहुत लोगोंके तीर्थंकर जैसा ही लगता। तीर्थंकर ही होनेवाले हैं। उनका सबकुछ पहलेसे ही तीर्थंकर जैसा ही लगता है। जिन प्रतिमा तीर्थंकर भगवानके स्वरूपमें विराजमान की। गुरुदेव मानो भाविके रूपमें पधारे हो!
मुमुक्षुः- पूरा शासन खडा किया। मूलमें कुछ था और पूरा शासन खडा किया।
समाधानः- पूरा शासन खडा किया। गुरुदेवने मार्ग बता दिया। सबको जागृत कर दिया। पूरे हिन्दुस्तानमें हिन्दी, गुजराती चारों ओर (जागृत हो गये)। आत्मा भगवान है, ज्ञायक और ज्ञायकदेवका चारों ओर डंका बजा दिया। क्रियामें धर्म मानते थे, उसकी जगह ज्ञायक.. ज्ञायक.. (हो गया)। छोटे बालक भी, आत्मा जाननेवाला है, ऐसा बोलने