Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

१४५ लगा। लेकिन अंतरकी तरफ ... आत्मामें संस्कार बडा कठिन लगता है। प्रतीति नहीं है, विश्वास नहीं है, आत्माका सुख प्रतिभासित नहीं होता। आत्माका सुख शब्दोंसे जरूर भासता है।

समाधानः- गुरुदेव कहते थे कि तुझसे न हो सके, पुरुषार्थ मन्द होवे, न हो सके तो श्रद्धा तो यथार्थ करना कि मार्ग तो यह है। प्रतीत तो ऐसी दृढ रखना कि शुभाशुभ भावसे भिन्न मैं चैतन्यतत्त्व ज्ञायकतत्त्व हूँ। ऐसी श्रद्धा तो यथार्थ करना। श्रद्धा करके फिर पुरुषार्थ धीरे-धीरे होवे, परन्तु प्रतीति तो यथार्थ करना। किसीको जल्दी पुरुषार्थ होता है, किसीको धीरे होता है, परन्तु श्रद्धा तो भीतरमेंसे यथार्थ करना।

मुमुक्षुः- विश्वास तो आया है, विश्वासमें तो कुछ (गडबडी नहीं है। विश्वास तो बराबर महेसुस होता है कि मार्ग तो सच्चा यही है। मार्ग जो है, सत्य मार्ग तो यही है। लेकिन इस मार्ग पर चलनेमें बार-बार अनुकूलता-सुखानुभव ... बडी कमजोरीसी लग रही है। बार-बार अन्य तरफ जो है ध्यान बटता है। परिवारमें, घरमें, बाहरमें, अर्थमें, यह सारी कमजोरी है।

समाधानः- कमजोरीका कारण है। रुचि, पुरुषार्थ, प्रतीति भीतरमेंसे दृढ करना। प्रतीति दृढ होवे तो विकल्प टूटे तो स्वानुभूति होवे। पहले तो अंतरमेंसे करना चाहिये।

मुमुक्षुः- विश्वासकी दृष्टिसे तो बराबर है, बाकी अभी परिणतिकी दृष्टिसे (कमजोरी लग रही है।)

मुमुक्षुः- आत्मामें ज्ञानगुण है, तो ज्ञानगुणकी पर्याय तो बराबर जाननेमें आती है, सुखगुण भी आत्मामें है, तो सुखगुणकी पर्याय तो जाननेमें नहीं आती।

समाधानः- सुखगुण है। ज्ञानस्वभाव ऐसा असाधारण गुण है। वह असाधारण है इसलिये ज्ञान तो जाननेमें आता है, परन्तु सुखगुण है (उसे) बाहरमें सुखकी कल्पना हो रही है। सुखगुण तो जब स्वानुभूति होती है, विकल्प टूटे तब सुखका अनुभव होता है। तो उसको आनन्द प्रगट होता है। सुखका स्वभाव ऐसा है, ज्ञानका स्वभाव ऐसा है कि असाधारण गुण है तो ज्ञान तो जाननेमें आता है। सुखका स्वभाव ऐसा है।

ज्ञान तो ऐसा असाधारण विशेष गुण है, इसलिये वह जाननेमें आता है कि यह ज्ञान है, मैं ज्ञायक हूँ। भेदज्ञान करके... आंशिक शान्ति (प्रगट हो), परन्तु यथार्थ आनन्दका अनुभव तो विकल्प टूटे तब आता है। स्वानुभूतिमें आनन्द आता है। उसका स्वभाव ऐसा है। आनन्दगुण और ज्ञानगुणमें फर्क है। ज्ञान तो असाधारण गुण है।

मुमुक्षुः- विशेष गुणमें भी तफावत है।

समाधानः- हाँ, तफावत है। आत्मामें अनन्त गुण है। उसमें ज्ञानगुण मुख्य असाधारण