Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 146.

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६६अमृत वाणी (भाग-४)
ट्रेक-१४६ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- आज सुबह टेपमें आया था कि केवलज्ञानी सर्व आत्मप्रदेशसे जानते हैं। तो स्वानुभूतिमें भी सर्व प्रदेशसे आत्मा ज्ञात होता है?

समाधानः- उसे कहाँ केवलज्ञान प्रगट हुआ है, उसे तो क्षयोपशमज्ञान है।

मुमुक्षुः- परन्तु वह तो प्रत्यक्ष है न?

समाधानः- आंशिक वेदन प्रत्यक्ष है।

मुमुक्षुः- वेदन प्रत्यक्ष है, प्रदेश प्रत्यक्ष नहीं है।

समाधानः- प्रदेश नहीं है, वेदन प्रत्यक्ष है।

मुमुक्षुः- तो सर्व प्रदेशसे?

समाधानः- उसे जीवके प्रदेश दब नहीं गये हैं। उसे निरावरण असंख्य प्रदेशमें अमुक अंश तो खुल्ले ही हैं। उसके खुल्ले अंशसे जानता है।

मुमुक्षुः- इन्द्रियज्ञानमें तो बराबर है कि अमुक अंशोंसे जानता है। परन्तु अतीन्द्रिय वेदनके कालमें?

समाधानः- वह जानता है लेकिन जो केवलज्ञानी जानते हैं, वैसे वह नहीं जानता है। वेदन प्रत्यक्ष है। थोडा जाने और थोडा न जाने, ऐसा नहीं है। पूरे आत्माको जानता है।

मुमुक्षुः- पूरे आत्माको लेकिन सर्व प्रदेशसे?

समाधानः- हाँ, सर्व प्रदेशसे पूरे आत्माको जानता है। उसे भेद नहीं पडता है कि इतने प्रदेश जाने और इतने प्रदेशसे नहीं जानता है, ऐसा भेद नहीं पडता। सर्व प्रदेशसे, सर्वांग वेदन होता है। अमुक प्रदेशमें वेदन होता है और अमुकमें नहीं होता है, ऐसा नहीं है। सर्वांगसे वेदन होता है और सर्वांगसे वह जानता है।

मुमुक्षुः- ज्ञान भी सर्वांगसे...?

समाधानः- ज्ञान भी सर्वांगसे और वेदन भी सर्वांगसे। थोडा वेदन है और थोडे प्रदेशमें नहीं है, या थोडेमें ज्ञान है और थोडेमें नहीं है, ऐसा नहीं है। सर्वांगसे ज्ञान और सर्वांगसे वेदन है। परन्तु वह वेदन प्रत्यक्ष है। केवलज्ञानीका ज्ञान प्रत्यक्ष है।

मुमुक्षुः- संपूर्ण प्रत्यक्ष है।