Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 148.

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८०अमृत वाणी (भाग-४)
ट्रेक-१४८ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- उसे पछतावा होता है, रोता है।

समाधानः- बहुत रोता है।

मुमुक्षुः- वह तो हो गया।

समाधानः- भूतकालमें गया। अब फिरसे न होवे ऐसे आराधना करे। देव-गुरु- शास्त्रकी आराधना ही जीवनमें करना और आत्माकी आराधना करना। उसे पछतावा होता है। जो गया सो गया, फिरसे आत्मामें जागृति उत्पन्न करके आत्माकी और देव- गुरु-शास्त्रकी आराधना करना।

मुमुक्षुः- बहुत विराधना की।

मुमुक्षुः- मैंने कहा, वह बदला जा सकेगा। .... राजश्रीका दृष्टान्त दिया था।

समाधानः- बदल जाये तो एक क्षणमें बदल जाता है। एक क्षणमें आत्मा बदल जाता है। गुरुदेव इस पंचमकालमें तीर्थंकरका द्रव्य था। लोगोंको जागृत किये। जितनी हो सके उतनी आराधना, भक्ति गुरुकी अंतरमें लाकर चैतन्यतत्त्वकी ओर मुड जाना। बस, वही है। उसका पश्चाताप करके फिरसे न हो, ऐसी आराधना अंतरमें करनी।

मुमुक्षुः- गुरुदेव रातको स्वप्नमें आये थे। गुरुदेवने संबोधन किया। मैं एकदम खडा हो गया, साहब! आईये, पधारिये। रातको बराबर स्वप्नमें आते हैं।

समाधानः- गुरुदेव पधारे ऐसा कहते हैं। संबोधन किया। गया सो गया, जागे तबसे सबेरा। जब जागे तब सुबह होती है। जो भी भूल हुयी अनन्त कालमें, पीछले अनन्त कालमें बहुत भूल हुई उसमें वह भूल गयी। अब आराधना करना।

मुमुक्षुः- ... आप याद रखो।

समाधानः- बस, आराधना करना, आराधना करना। गया सो गया। पहले तो उसे बहुत भक्ति थी।

मुमुक्षुः- हाँ, पूरा धंधा छोड दूँ।

समाधानः- हाँ, उतनी भावना थी।

मुमुक्षुः- आपके भावको जाँचकर करना, फिर बादमें...

समाधानः- गुरुदेव तो क्षमाके भण्डार, क्षमामूर्ति थे। सबको क्षमा देनेवाले थे।