Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

१५० घरमें क्या होगा, कैसे होगा? लेकिन जितना अन्दरमें प्रयत्न करता था, जुडनेका प्रयत्न करुँ, जुडनेका प्रयत्न करुँ, लेकिन विकल्पमें रही रहना होता था।

समाधानः- अभी भिन्न नहीं हुआ है इसलिये विकल्पमें (रहता है)। लेकिन वह याद आये वह भी गुरुदेवका प्रताप है। ऐसे समयमें ज्ञायक याद आना (वह भी गुरुदेवका उपकार है)। उसके लिये आत्मामें ज्यादा पुरुषार्थ करना, अधिक लगन लगानी और अधिक गुरुदेवने बताया है उस मार्गको ग्रहण करना। अधिक-अधिक..

आत्माका कुछ किया हो, आत्मामें संस्कार ज्यादा दृढ हो, अन्दर आत्मा हाजिर हो। कोई किसीका कर नहीं सकता। बाहरमें चाहे जैसा प्रयत्न करे, कोई किसीको बचा नहीं सकता। जो बननेवाला होता है वैसे ही बनता रहता है।

मुमुक्षुः- आश्चर्य होता है कि अभी मैं जीवित हूँ!

मुमुक्षुः- डाक्टरने बचाया कि नहीं?

समाधानः- किसीने बचाया नहीं है। भाव अच्छे रखे वह अपने हैं। किसीने बचाया नहीं है। गुरुदेवने बताया वह मार्ग ग्रहण हो जाय, वह आत्माको वास्तवमें सुखरूप और सुखका धाम तो वही है। कोई बचा नहीं सका। आयुष्य था।

मुमुक्षुः- डाक्टर अभी कहाँ बुखार उतार सकता है। अभी कितना रहता है? मुमुक्षुः- अभी ९९.३, ९९.४ शामको होता है। नोर्मल नहीं होता है। बहुत गहरी खाई थी। ये तो अभी बीचमें अटक गयी थी।

मुमुक्षुः- ये तो बीचमें (अटक गयी), इससे भी चार-पाँच गुनी गहरी थी। बीचमें जमीन आ जाये, इसलिये वहाँ अटक गयी।

मुमुक्षुः- नहीं, इसमें तो क्या है ऊतरते-ऊतरते दूसरी सब पहाडीका पानीका झरना था। उस झरनेमें बस धँस गयी। उसमें धँस गयी इसलिये अटक गयी। फिर तीन- चार दिनके बाद ऐसे समाचार मिले थे, मैंने तो नहीं देखा था। उसके सौ फिटके बाद इतनी गहरी खाई थी की अनन्त आकाश था। उसमेंं बस कब गिरे और कब जाय। और बस उस वक्त अन्दर गिरी होती तो किसीकी हड्डी भी हाथ नहीं लगती। लेकिन नसीबसे यह एक्सीडेन्ट हुआ, झरनेमें बस धँस गयी तो बस वहीं अटक गयी। नहीं तो अभी तो बहुत गहरी खाई थी।

समाधानः- इसलिये आदमी वहाँ लेनेके लिये पहुँच सके।

मुमुक्षुः- उसका एक पुत्र था। उसकी बस तो ... कुचल गया था। मिलीटरीवाले सब कुचलकर मर गये।

समाधानः- वैराग्य करने जैसा है।

मुमुक्षुः- अहेमदाबादसे जल्दी सोनगढ आ जाओ। मुझे यहाँ नहीं रहना है।