Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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१०४अमृत वाणी (भाग-४)

समाधानः- तार दिये। वह ऐसा नहीं कहेगा कि पुरुषार्थसे तिरा। गुरुदेवने तार दिया। पूरे हिन्दुस्तानके जीवोंको गुरुदेवने ही जागृत किये हैैं। पूरे भारतको। सबकी दृष्टि क्रियामें और शुभभावमें पडी थी। सबकी दृष्टि (वहाँ पडी थी)। गुरुदेवने दृष्टि दी ऐसा ही कहेनेमें आये न।

मुमुक्षुः- गुरुदेवने मुर्देको खडा कर दिया, हम तो ऐसा कहते हैैं। सब मुरदे थे, मुरदेके खडा कर दिया, जागृत किया।

समाधानः- मैं स्वयंसे खडा हो गया, ऐसा थोडे ही कहनेमें आये? गुरुदेवने दृष्टि दी और गुरुदेवने जागृत किये। गुरुदेवने जीवन दिया।

मुमुक्षुः- आप भले कहो, वे निमित्त थे। परन्तु हमको तो ऐसा लगता है, उन्होंने हमको खडा कर दिया, हाथ पकडकर हमें खडा कर दिया।

समाधानः- वह तो खडी ही किया है न। निमित्त-उपादानकी बात हो तब ऐसा कहनेमें आये, बाकी गुरुदेवने ही खडे किये हैं।

मुमुक्षुः- आपको निद्रामें, स्वप्नमें कई बार दर्शन हुए होंगे?

समाधानः- स्वप्नमें तो आते ही हैं गुरुदेव। यहाँ वषासे जीवन उस प्रकारका हो गया है, इसलिये स्वप्नमें तो आते हैं.

मुमुक्षुः- ऐसे कुछ बात कर जाते हैं?

समाधानः- उसमें क्या बात करें? कहा न, गुरुदेव तो वीतरागी थे।

मुमुक्षुः- वीतरागी थे, परन्तु कुछ बात तो करते होंगे।

मुमुक्षुः- स्वप्नमें तो आये, परन्तु ऐसे आये हैं कि नहीं? आये तो कहना, मुझे कहना, ऐसा रामजीभाई कहते थे। मुझे बुलाना।

मुमुक्षुः- सुना है, परन्तु बहिनश्री ऐसा कहे कि आज सुबह ही आये थे, गुरुदेव यहाँ पधारे थे, आपको देर हो गयी, गुरुदेव पधार गये।

समाधानः- गुरुदेव तो देवमें विराजते हैं। क्षेत्रसे दूर हो गये। बाकी साक्षात विराजते हैं। वे तो सीमंधर भगवानके पास जाते हैैं। बीचमें यह भरतक्षेत्र आ जाय और वे देखे भी, परन्तु हमको दिखाई नहीं दे।

मुमुक्षुः- भरतक्षेत्रकी याद आ जाय।

समाधानः- वे तो ज्ञानमें सब देखते हों।

मुमुक्षुः- सीमंधर भगवानके पाससे वापस मुडते समय मेरे शिष्यकी खबर ले लूँ, ऐसा उनको भी मन हो, थोडा राग अभी है, देवगतिमें ऐसा राग होता है। और देवगतिके जीवको क्रियावर्ती शक्ति हों, उसे यहाँ आनेमें कहाँ देर लगती है।

समाधानः- परन्तु भरतक्षेत्रके पुण्य हो तो यहाँ आये। बाकी उनको तो महाविदेहकी