Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 96 of 1906

 

अमृत वाणी (भाग-२)

९६ थे, सब अन्दर ही रहता था। किसीको नहीं कहते थे। कुछ-कुछ लोगोंको अन्दर- अन्दर गुरुदेव बहुत गुप्तरूपसे कहते थे।

मुमुक्षुः- मामाको कहा तो .. कैसा लगता है?

समाधानः- .. सबकी सुननेकी तैयारी.. विरुद्ध माहोलमें क्या ...

समाधानः- ... मैं त्रिकाल और यह भेद है, इतना जानता है। उसमें उतना जोर नहीं है उसमें। यह तो वेदन है, मेरी स्व ओरकी पर्याय है, स्वकी ओरका भाग है। वह विभावकी ओरका भाग था। ये मेरे रिश्ते-सम्बन्धवाले हैं, उसके साथ कोई नाता या सम्बन्ध नहीं है। अपनी शुद्ध पर्याय स्वयंकी जातिकी है। निज स्वभावकी ज्ञाति वाला है। .. जोर नहीं है। दृष्टिकी अपेक्षासे जानते हैं कि यह पर्याय अंश है। दृष्टिका जोर द्रव्य पर है और पर्यायको वैसे भिन्न नहीं करता, वैसे जोरवाला नहीं है।

मुमुक्षुः- दोनोंमे बहुत अंतर है।

समाधानः- दोनोंमें बहुत अंतर है। अपेक्षा जानता है कि द्रव्य त्रिकाल, गुण त्रिकाल है और यह प्रगट पर्याय है वह अंश है। ऐसा जोर उसमें नहीं है। यह स्वभावकी ओरका भाग है, वह विभावका भाग है।

मुमुक्षुः- ३८वीं गाथामें सबको एकसाथ अत्यंत भिन्न है, ऐसा कहा। तो भी उसमें ऐसा जोर-जोरका अंतर रहता है?

समाधानः- अंतर रहता है। ज्ञान उसे बराबर जानता है कि यह पर्याय मेरी ओरकी है, परन्तु पर्याय है। उसमें स्वभावभेद है, अत्यंत भिन्न है। स्वभावभेद है। इसमें स्वभावभेद नहीं होता। अंशका भेद होता है। स्वभावभेद नहीं है।

मुमुक्षुः- ये मेरे रिश्तेदार है।

समाधानः- हाँ, दृष्टिकी अपेक्षासे एकमें डाल दे, लेकिन उसमें समझना पडता है। द्रव्यकर्म, भावकर्म, भेद वह सब आता है। भेदाभेद। सब पर्यायके भेदसे आत्मा भिन्न है। उसकी अपेक्षा समझनी पडती है। दृष्टिकी अपेक्षासे एकमें जाता है, सबसे भिन्न पडता है। उसमें जो शुद्धपर्याय है, .. यह क्षयोपशमके भेद, ये भेद तो उन सबमें अपेक्षा समझता है। क्षायिकके भेद, विभावके भेद। दृष्टिकी अपेक्षासे एकमें जाता है, परन्तु ज्ञानमें सब अपेक्षाएँ रहती है। दृष्टिकी अपेक्षामें एक तत्त्व हूँ, एक द्रव्य हूँ, ऐसा जोर रहता है। परन्तु ज्ञानमें सब विवेक रहता है।

मुमुक्षुः- गुुरुदेव कहते थे, बिल्ली बच्चेको पकडे और चूहेको पकडे, दोनोंकी पकडमें फर्क है।

समाधानः- अन्दरसे न्यारा हो गया है। पकड-पकडमें फर्क है, ऐसा गुरुदेव कहते थे। दृष्टिकी अपेक्षासे एकमें कहते हैं। इससे भिन्न, इससे भिन्न, इससे भिन्न, इससे भिन्न