Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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ट्रेक-

१५५ हो तो दो द्रव्य हो गये।

मुमुक्षुः- वह भी द्रव्य हो जाय। समाधानः- हाँ, वह भी द्रव्य हो गया और यह भी द्रव्य हो गया। ऐसा उसका अर्थ नहीं है। उसकी स्वतंत्रता बताते हैं कि पर्याय भी एक अंश रूपसे स्वतंत्र है। लेकिन जैसा यह द्रव्य (स्वतंत्र) है, वैसी उसकी स्वतंत्रता नहीं है। क्योंकि वह पर्याय द्रव्यके आश्रयसे है। पर्यायका वेदन द्रव्यको होता है। वह द्रव्यकी पर्याय है। ऐसी स्वतंत्रता उसमें नहीं है। लेकिन उसकी स्वतंत्रता बतायी है। परन्तु पर्याय भी एक सत है। द्रव्य सत, गुण सत, पर्याय सत। उसका सतपना दिखाते हैं। परन्तु उसकी स्वतंत्रता, जैसी द्रव्यकी है वैसी नहीं है।

प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!