Bruhad Dravya Sangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 5 : Gnanopayogana Bhed Tatha Swaroop.

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श्रोत्रेन्द्रियावरणनो क्षयोपशम होवाथी पोतपोतानी बहिरंग द्रव्येन्द्रियना आलंबनथी, मूर्त
पदार्थना सत्तासामान्यने विकल्प विना (-निराकारपणे) परोक्षरूपे जे एकदेश देखे छे ते
अचक्षुदर्शन छे.तेवी जे रीते मन-इन्द्रियावरणना क्षयोपशमथी अने सहकारी कारणरूप
आठ पांखडीवाळा कमळना आकाररूप द्रव्यमनना आलंबनथी, मूर्त अने अमूर्त समस्त
वस्तुओना सत्ता सामान्यने विकल्प विना परोक्षरूपे जे देखे छे ते मानस-अचक्षुदर्शन छे.
ते ज आत्मा अवधिदर्शनावरणना क्षयोपशमथी मूर्त वस्तुना सत्तासामान्यने विकल्प विना
जे एकदेश-प्रत्यक्षरूपे देखे छे ते अवधिदर्शन छे. तथा जे सहजशुद्ध छे अने सदा आनंद
जेनुं एक रूप छे एवा परमात्मतत्त्वनी संवित्तिनी प्राप्तिना बळथी, केवळदर्शनावरणनो
क्षय थतां, मूर्त
अमूर्त समस्त वस्तुना सत्तासामान्यने विकल्प विना सकल-प्रत्यक्षरूपे जे
एक समयमां देखे छे ते उपादेयभूत क्षायिक केवळदर्शन जाणवुं. ४.
हवे आठ भेदोवाळा ज्ञानोपयोगनुं प्रतिपादन करे छे
ज्ञानभेद मति श्रुत अवधिका, भलेबुरेतै है छहैतिका;
मनपर्यय केवल मिलि आठ, है परतक्ष परोक्ष सुपाठ. ५.
श्रोत्रेन्द्रियावरणक्षयोपशमत्वात्स्वकीयस्वकीयबहिरङ्गद्रव्येन्द्रियालम्बनाच्च मुर्त्तं सत्तासामान्यं
विकल्परहितं परोक्षरूपेणैकदेशेन यत्पस्यति तदचक्षुर्दर्शनम्
तथैव च मनइन्द्रिया-
वरणक्षयोपशमात्सहकारिकारणभूताष्टदलपद्माकारद्रव्यमनोऽवलम्बनाच्च मूर्त्तामूर्त्तसमस्तवस्तु-
गतसत्तासामान्यं विकल्परहितं परोक्षरूपेण यत्पश्यति तन्मानसमचक्षुर्दर्शनम्
स एवात्मा
यदवधिदर्शनावरणक्षयोपशमान्मूर्त्तवस्तुगतसत्तासामान्यं निर्विकल्परूपेणैकदेशप्रत्यक्षेण यत्पश्यति
तदवधिदर्शनम्
यत्पुनः सहजशुद्धसदानन्दैकरूपपरमात्मतत्त्वसंवित्तिप्राप्तिबलेन केवल-
दर्शनावरणक्षये सति मूर्त्तामूर्त्तसमस्तवस्तुगतसत्तासामान्यं विकल्परहितं सकलप्रत्यक्ष-
रूपेणैकसमये पश्यति तदुपादेयभूतं क्षायिकं केवलदर्शनं ज्ञातव्यमिति
।।।।
अथाष्टविकल्पं ज्ञानोपयोगं प्रतिपादयति
णाणं अट्ठियप्पं मदिसुदिओही अणाणणाणाणि
मणपज्जवकेवलमवि पच्चक्खपरोक्खभेयं च ।।।।
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बृहद्द्रव्यसंग्रह