Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 12-13 (poorvardh) (Dhal 3).

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सम्यक्त्वना आL अंगो (गुणो) अने शंकादि आL
दोषोनुं लक्षण
जिनवचमें शंका न धार वृष-भवसुख-वांछा भानै,
मुनि-तन मलिन न देख घिनावै, तत्त्व - कुतत्त्व पिछानैं;
निज गुण अरु पर औगुण ढांके, वा निजधर्म बढावै,
कामादिक कर वृषतैं चिगते, निज-परको सु दिढावै.
१२.
गाथा १३ (पूर्वार्धा)
धर्मीसों गौ-वच्छ-प्रीति सम, कर जिनधर्म दिपावै,
इन गुणतैं विपरीत दोष वसु, तिनकों सतत खिपावै;
अन्वयार्थ१ (जिनवचमें) सर्वज्ञदेवे कहेलां तत्त्वोमां
७८ ][ छ ढाळा