Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 87 of 205
PDF/HTML Page 109 of 227

 

background image
तीनलोक तिहुंकाल माहिं नहिं, दर्शन-सो सुखकारी,
सकल धरमको मूल यही, इस बिन करनी दुखकारी.१६.
त्रीजी ढाळ ][ ८७
अन्वयार्थ(सम्यक्धारी) सम्यग्द्रष्टि जीव (प्रथम नरक
विन) पहेली नरक सिवाय (षट् भू) बाकीनी छ नरको विशे,
(ज्योतिष) ज्योतिषी देवोमां, (वान) व्यंतर देवोमां, (भवन)
भवनवासी देवोमां, (षंढ) नपुंसकोमां, (नारी) स्त्रीओमां,
(थावर) पांच स्थावरोमां, (विकलत्रय) द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय अने
चतुरिन्द्रिय जीवोमां तथा (पशुमें) कर्मभूमिना पशुओमां (नहि
उपजत) ऊपजतां नथी. (तीनलोक) त्रण लोक (तिहुंकाल) त्रण
काळमां (दर्शन सो) सम्यग्दर्शन जेवुं (सुखकारी) सुखदायक
(नहि) बीजुं कांई नथी, (यही) आ सम्यग्दर्शन ज (सकल
धरमको) बधा धर्मोनुं (मूल) मूळ छे; (इस बिन) आ
सम्यग्दर्शन विना (करनी) समस्त क्रियाओ (दुखकारी)
दुःखदायक छे.