(ज्योतिष) ज्योतिषी देवोमां, (वान) व्यंतर देवोमां, (भवन)
भवनवासी देवोमां, (षंढ) नपुंसकोमां, (नारी) स्त्रीओमां,
(थावर) पांच स्थावरोमां, (विकलत्रय) द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय अने
चतुरिन्द्रिय जीवोमां तथा (पशुमें) कर्मभूमिना पशुओमां (नहि
उपजत) ऊपजतां नथी. (तीनलोक) त्रण लोक (तिहुंकाल) त्रण
काळमां (दर्शन सो) सम्यग्दर्शन जेवुं (सुखकारी) सुखदायक
(नहि) बीजुं कांई नथी, (यही) आ सम्यग्दर्शन ज (सकल
धरमको) बधा धर्मोनुं (मूल) मूळ छे; (इस बिन) आ
सम्यग्दर्शन विना (करनी) समस्त क्रियाओ (दुखकारी)
दुःखदायक छे.