Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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त्रीजी ढाळ ][ ८९
अन्वयार्थ[आ सम्यग्दर्शन ज] (मोक्षमहलकी) मोक्षरूपी
महेलनुं (परथम) पहेलुं (सीढी) पगथियुं छे, (या विन) आ
सम्यग्दर्शन विना (ज्ञान-चरित्रा) ज्ञान अने चारित्र (सम्यक्ता)
साचापणुं (न लहै) पामता नथी; तेथी (भव्य) हे भव्य जीवो
!
(सो) आवा (पवित्रा) पवित्र (दर्शन) सम्यग्दर्शनने (धारो) धारण
करो, (सयाने दौल) हे समजु दौलतराम
! (सुन) सांभळ, (समझ़)
जाण अने (चेत) सावधान रहे, (काळ) तारो वखत (वृथा)
नकामो-बिनजरूरी (मत खोवै) गुमाव नहि; [कारण के] (जो) जो
(सम्यक्) सम्यग्दर्शन (नहि होवै) न थयुं तो (यह) आ (नरभव)
मनुष्य पर्याय (फिर) फरीने (मिलन) मळवी (कठिन है) मुश्केल छे.
भावार्थ*सम्यग्दर्शन ज मोक्षरूपी महेलमां चडवाने
बांध्या पछी समकित पाम्या हता तेथी, जोके तेने नरकमां तो जवुं
पड्युं पण आयुष्य सातमी नरकथी ओछुं थईने पहेली नरकनुं ज रह्युं
ए रीते जे जीव सम्यग्दर्शन पाम्या पहेलां तिर्यंच वा मनुष्य आयुनो
बंध करे छे ते भोगभूमिमां जाय छे परंतु कर्मभूमिमां तिर्यंच अथवा
मनुष्यपणे उपजे नहि.
*सम्यग्द्रष्टि जीव की, निश्चय कुगति न होय,
पूर्वबंध तें होय तो, सम्यक् दोष न कोय.