Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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मुनिव्रत धार अनंत बार ग्रीवक उपजायौ,
पै निज आतमज्ञान विना, सुख लेश न पायौ. ५.
अन्वयार्थ[अज्ञानी जीवने] (ज्ञान विन) सम्यग्ज्ञान
वगर (कोटि जन्म) करोडो जन्मो सुधी (तप तपैं) तप तपवाथी
(जे कर्म) जेटला कर्मो (झरैं) नाश थाय छे (ते) तेटलां कर्मो
(ज्ञानीके) सम्यग्ज्ञानी जीवने (त्रिगुप्ति तैं) मन, वचन अने काया
तरफनी जीवनी प्रवृत्तिने रोकवाथी [निर्विकल्प शुद्ध स्वानुभवथी]
(छिनमें) क्षण मात्रमां (सहज) सहेलाईथी (टरैं) नाश पामे छे.
[आ जीव] (मुनिव्रत) मुनिओनां महाव्रतोने (धार) धारण करीने
(अनंत बार) अनंत वार (ग्रीवक) नवमी ग्रैवेयक सुधी
(उपजायौ) उत्पन्न थयो, (पै) परंतु (निज आतम) पोताना
आत्माना (ज्ञान विना) ज्ञान वगर (लेश) जरापण (सुख) सुख
(न पायौ) पामी शक्यो नहि.
भावार्थमिथ्याद्रष्टि जीव आत्मज्ञान (सम्यग्ज्ञान) विना
करोडो जन्मो-भवो सुधी बाळतपरूप उद्यम करीने जेटलां कर्मोनो
नाश करे छे तेटलां कर्मोनो नाश सम्यग्ज्ञानी जीव स्वसन्मुख
१०६ ][ छ ढाळा