संबंधी विषयोनी इच्छा संसारी जीवोने बाळे छे-दुःख आपे छे,
अने जेवी रीते धोधमार वरसाद ते दावानळने बुझावी नाखे छे
तेवी रीते आ सम्यग्ज्ञान ते विषयोनी इच्छाने शांत करे छे
लाख बातकी बात यही, निश्चय उर लाओ,
तोरि सकल जगदंद-फंद, नित आतम ध्याओ. ९.
(पाप-फलमाहिं) पापना फळोमां (विलखौ मत) द्वेष न कर
[कारण के आ पुण्य अने पाप] (पुद्गल परजाय) पुद्गलना
पर्याय छे. [ते] (उपजि) उत्पन्न थईने (विनसै) नाश पामी
जाय छे अने (फिर) फरीने (थाई) उत्पन्न थाय छे. (उर)
पोताना अंतरमां (निश्चय) निश्चयथी खरेखर (लाख बातकी
बात) लाखो वातनो सार (यही) आ ज प्रमाणे (लाओ) ग्रहण
करो के (सकल) पुण्य-पापरूप बधाय (जगदंद-फंद) जन्म-
मरणना द्वंद्व [राग-द्वेष] रूप विकारी-मलिनभावो (तोरि) तोडी
(नित) हमेशां (आतम ध्याओ) पोताना आत्मानुं ध्यान करो.