Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भावार्थआत्महितैषी जीवनुं कर्तव्य छे के धन, घर,
दुकान, कीर्ति, नीरोग शरीरादि, पुण्यना फळ छे, तेनाथी पोताने
लाभ छे तथा तेना वियोगथी पोताने नुकशान छे एम न मानो;
केमके परपदार्थ सदा भिन्न छे, ज्ञेयमात्र छे, तेमां कोईने अनुकूळ
अथवा प्रतिकूळ, इष्ट अथवा अनिष्ट गणवा ते मात्र जीवनी
भूल छे, माटे पुण्य-पापना फळमां हर्ष-शोक करवो नहि.
जो कोईपण पर पदार्थने जीव, खरेखर भला-बूरा माने तो
तेना प्रत्ये राग-द्वेष अने ममत्व थया विना रहे नहि. जेणे
चोथी ढाळ ][ ११३