Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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चोथी ढाळ ][ १२३
अन्वयार्थ(उर) मनमां (समताभाव) निर्विकल्पता
अर्थात् शल्यना अभावने (धर) धारण करीने (सदा) हंमेशां
(सामायिक) सामायिक (करिये) करवुं [ते सामायिकशिक्षाव्रत छे.]
(परव चतुष्टयमाहिं) चार पर्वना दिवसोमां (पाप) पापकार्योने
(तज) छोडीने (प्रोषध) पौषध-उपवास (धरिये) करवो [ते
पौषध-उपवास शिक्षाव्रत छे] (भोग) एकवार भोगवाय तेवी
वस्तुओनुं (और) अने (उपभोग) वारंवार भोगवाय तेवी
वस्तुओनुं (नियमकरि) परिमाण करी-माप करी (ममत) मोह
(निवारै) काढी नांखे [ते भोग-उपभोग परिमाणव्रत छे.]
(मुनिको) वीतरागी मुनिने (भोजन) आहार (देय) दईने (फेर)
पछी (निज अहारै) पोते भोजन (करहि) करे [ते
अतिथिसंविभागव्रत कहेवाय छे.]
भावार्थस्वसन्मुखता वडे पोताना परिणामोने विशेष
स्थिर करी, दररोज विधिपूर्वक सामायिक करवुं ते सामायिक
शिक्षाव्रत छे. दरेक आठम तथा चौदशना रोज कषाय अने
व्यापार वगेरे कार्योने छोडीने (धर्मध्यानपूर्वक) पौषधसहित
उपवास करवो ते पौषधउपवास शिक्षाव्रत कहेवाय छे. परिग्रह-
परिमाण अणुव्रतमां मुकरर करेल भोगोपभोगनी वस्तुओमां
जिंदगी सुधीना माटे अथवा कोई मुकरर करेला समय सुधीना
माटे नियम करवो तेने भोगोपभोगपरिमाण शिक्षाव्रत कहेवाय
छे. निर्ग्रंथमुनि वगेरे सत्पात्रोने आहार कराव्या पछी पोते
भोजन करे ते अतिथिसंविभाग शिक्षाव्रत छे.