Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Chothi Dhalano Saransh.

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चोथी ढाळ ][ १२५
नाश करवा माटे विधिपूर्वक समाधिमरण (संल्लेखना)* धारण
करीने तेना पांच अतिचारोने पण दूर करे छे; ते आयुष्य पूर्ण
थतां मरीने सोळमां स्वर्ग सुधी ऊपजे छे, अने देवनुं आयुष्य
पूर्ण थतां मनुष्यशरीर पामी, मुनिपद अंगीकार करी मोक्ष (पूर्ण
शुद्धता) प्राप्त करे छे.
सम्यक्चारित्रनी भूमिकामां रहेला रागना कारणे ते जीव
स्वर्गमां देवपद पामे छे, धर्मनुं फळ संसारनी गति नथी पण
संवर-निर्जरारूप शुद्धभाव छे; धर्मनी पूर्णता ते मोक्ष छे.
चोथी ढाळनो सारांश
सम्यग्दर्शनना अभावमां जे ज्ञान होय छे तेने कुज्ञान
(मिथ्याज्ञान) कहेवामां आवे छे. सम्यग्दर्शन थया पछी ते ज
ज्ञानने सम्यग्ज्ञान कहेवाय छे. आ रीते जोके ए बन्ने
(सम्यग्दर्शन अने सम्यग्ज्ञान) साथे ज होय छे, तोपण तेनां
लक्षणो जुदा जुदा छे अने कारण-कार्य भावनो तफावत छे अर्थात्
सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञाननुं निमित्तकारण छे.
पोताने अने परवस्तुओने जेवी रीते छे तेवी रीते
स्वसन्मुखतापूर्वक जाणे ते सम्यग्ज्ञान कहेवाय छे, तेनी वृद्धि थतां
*ज्यां क्रोध वगेरेने वश थईने झेर, शस्त्र अथवा अन्नत्याग वगेरेथी
प्राण छोडवामां आवे छे त्यां ‘आपघात’ कहेवाय छे; पण
‘संल्लेखना’मां सम्यग्दर्शन सहित आत्मकल्याण (धर्म)ना हेतुथी
काया अने कषायने कृश करता थकां सम्यक् आराधनापूर्वक
समाधिमरण थतुं होवाथी ते आपघात नथी पण धर्मध्यान छे.