वस्तु बीजी कोई नथी अने ते ज जन्म, जरा अने मरणनो नाश
करे छे. मिथ्याद्रष्टि जीवने सम्यग्ज्ञान विना करोडो जन्मो सुधी
तप तपवाथी जेटलां कर्मो नाश पामे तेटलां कर्मो सम्यग्ज्ञानी
जीवने त्रिगुप्तिथी क्षणमात्रमां नाश थई जाय छे. पूर्वे जे जीव
मोक्षमां गया छे, भविष्यमां जशे अने हाल महाविदेह क्षेत्रथी
जई रह्या छे ते बधो प्रभाव सम्यग्ज्ञाननो छे. जेवी रीते
मूशळधार वरसाद वनना भयंकर अग्निने क्षणमात्रमां नष्ट करे
छे तेवी रीते आ सम्यग्ज्ञान विषयवासनाओने क्षणमात्रमां नाश
करे छे.
करे छे; ते पुण्य-पापना फळोमां जे संयोगो प्राप्त थाय तेमां हर्ष-
शोक करवो ते मूर्खता छे. प्रयोजनभूत वात तो ए छे के पुण्य-
पाप, व्यवहार अने निमित्तनी रुचि छोडीने स्वसन्मुख थई
सम्यग्ज्ञान प्राप्त करवुं.
तत्त्वना अभ्यास वडे सम्यग्ज्ञान प्राप्त करवुं जोईए, कारण के
मनुष्यपर्याय, उत्तम श्रावककुळ अने जिनवाणीनुं सांभळवुं वगेरे
सुयोग-जेम समुद्रमां डूबेलुं रत्न फरी हाथ आवतुं नथी तेम
वारंवार मळतो नथी. एवो दुर्लभ सुयोग पामीने सम्यग्धर्म
प्रगट न करवो ते मूर्खता छे.