Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Sar Paheli Dhalano Saransh.

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*मिथ्याद्रष्टि देव मरीने एकेन्द्रिय थाय छे, सम्यग्द्रष्टि नहि.
पण मरीने पृथ्वीकायिक वगेरे स्थावरोना *शरीर धारण कर्यां,
एटले के फरीने तिर्यंच गतिमां जई पड्यो. आ रीते आ जीव
संसारमां अनादि काळथी रखड्या करे छे, अने पांच परावर्तन
करी रह्यो छे.
सार
संसारनी कोई गति सुखदायक नथी. निश्चयसम्यग्दर्शनथी
ज पंच परावर्तनरूप संसार परित थाय छे. बीजा कोई
कारणथी
दया, दानादिना शुभरागथी संसार तूटे नहि.
संयोगो सुख-दुःखना कारण नथी पण मिथ्यात्व (पर साथे
एकताबुद्धि-कर्ताबुद्धि, शुभरागथी धर्म थाय एवी मान्यता) ते
ज दुःखनुं कारण छे. सम्यग्दर्शन सुखनुं कारण छे.
पहेली ढाळनो सारांश
त्रण लोकमां जे अनंत जीवो छे ते सर्व सुख चाहे छे अने
दुःखथी डरे छे. पण पोतानुं असली स्वरूप समजे तो ज सुखी
थाय. चार गतिना संयोग ते दुःखनुं कारण नथी छतां परमां
एकत्वबुद्धि वडे इष्ट-अनिष्टपणुं मानी मानीने जीव एकलो
दुःखी थाय छे अने त्यां केवा संयोगना लक्षे विकार करे छे ते
टूंकमां कहेल छे.
पहेली ढाळ ][ २१