Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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अन्वयार्थ[मिथ्याद्रष्टि जीव] (तन) शरीरना (उपजत)
उत्पन्न थवानी (अपनी) पोतानो आत्मा (उपज) उत्पन्न थयो
(जान) एम माने छे अने (तन) शरीरनां (नशत) नाश थवाथी
(आपको) आत्मानो (नाश) नाश अथवा मरण थयुं एम (मान)
माने छे (रागादि) राग, द्वेष, मोह वगेरे (प्रगट) स्पष्टरूपे
(दुःखदैन) दुःख आपवावाळा छे (तिनही को) तेओनी (सेवत)
सेवा करतो थको (चैन) सुख (गिनत) माने छे.
भावार्थ(१) अजीव तत्त्वनी भूलमिथ्याद्रष्टि जीव
एम माने छे के शरीरनी उत्पत्ति (संयोग) थतां हुं जन्म्यो अने
शरीरनो नाश (वियोग) थवाथी हुं मरी जईश. (आत्मानुं मरण
माने छे.) धन, शरीरादि जड पदार्थोमां परिवर्तन थतां पोतानामां
इष्ट-अनिष्ट परिवर्तन मानवुं, शरीरनी उष्ण अवस्था थतां मने
ताव आव्यो, शरीरमां क्षुधा, तृषारूप अवस्था थतां मने क्षुधा-
तृषादि थाय छे, शरीर कपातां हुं छेदाई गयो इत्यादि जे
अजीवनी अवस्थाओ छे, तेने पोतानी माने छे ए अजीव
तत्त्वनी भूल छे.
३६ ][ छ ढाळा
आत्मा अमर छे; ते विष, अग्नि, शास्त्र, अस्त्र के बीजा कोईथी मरतो नथी
के नवो उत्पन्न थतो नथी. मरण (वियोग) तो मात्र शरीरनुं ज थाय छे.