(जान) एम माने छे अने (तन) शरीरनां (नशत) नाश थवाथी
(आपको) आत्मानो (नाश) नाश अथवा मरण थयुं एम (मान)
माने छे (रागादि) राग, द्वेष, मोह वगेरे (प्रगट) स्पष्टरूपे
(दुःखदैन) दुःख आपवावाळा छे (तिनही को) तेओनी (सेवत)
सेवा करतो थको (चैन) सुख (गिनत) माने छे.
शरीरनो नाश (वियोग) थवाथी हुं मरी जईश. (आत्मानुं मरण
माने छे.) धन, शरीरादि जड पदार्थोमां परिवर्तन थतां पोतानामां
इष्ट-अनिष्ट परिवर्तन मानवुं, शरीरनी उष्ण अवस्था थतां मने
ताव आव्यो, शरीरमां क्षुधा, तृषारूप अवस्था थतां मने क्षुधा-
तृषादि थाय छे, शरीर कपातां हुं छेदाई गयो इत्यादि जे
अजीवनी अवस्थाओ छे, तेने पोतानी माने छे ए अजीव
तत्त्वनी भूल छे.
के नवो उत्पन्न थतो नथी. मरण (वियोग) तो मात्र शरीरनुं ज थाय छे.