याही प्रतीतिजुत कछुक ज्ञान, सो दुःखदायक अज्ञान जान. ७.
नथी, अने (निराकुलता) आकुलताना अभावने (शिवरूप) मोक्षनुं
स्वरूप (न जोय) मानतो नथी. (याही) आ (प्रतीतिजुत) खोटी
मान्यता सहित (कछुक ज्ञान) जे कांई ज्ञान छे (सो) ते
(दुखदायक) कष्टने आपनारुं (अज्ञान) अगृहीत मिथ्याज्ञान छे;
एम (जान) समजवुं.
निर्जरा कहेवामां आवे छे. ते निश्चय सम्यग्दर्शनपूर्वक ज होई
शके छे. ज्ञानानंद स्वरूपमां स्थिर थवाथी शुभ-अशुभ इच्छानो
निरोध थाय ते तप छे. तप बे प्रकारना छेः (१) बाळतप,
(२) सम्यक्तप. अज्ञानदशामां जे तप करवामां आवे छे ते