Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 7 (Dhal 2).

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निर्जरा अने मोक्षनी विपरीत श्रद्धा अने
अगृहीत मिथ्याज्ञान
रोके न चाह निजशक्ति खोय, शिवरूप निराकुलता न जोय;
याही प्रतीतिजुत कछुक ज्ञान, सो दुःखदायक अज्ञान जान. ७.
बीजी ढाळ ][ ३९
अन्वयार्थ[मिथ्याद्रष्टि प्राणी] (निजशक्ति) पोताना
आत्मानी शक्ति (खोय) खोईने (चाह) इच्छाने (न रोके) रोकतो
नथी, अने (निराकुलता) आकुलताना अभावने (शिवरूप) मोक्षनुं
स्वरूप (न जोय) मानतो नथी. (याही) आ (प्रतीतिजुत) खोटी
मान्यता सहित (कछुक ज्ञान) जे कांई ज्ञान छे (सो) ते
(दुखदायक) कष्टने आपनारुं (अज्ञान) अगृहीत मिथ्याज्ञान छे;
एम (जान) समजवुं.
भावार्थ(१) निर्जरा तत्त्वमां भूलआत्मामां
आंशिक शुद्धिनी वृद्धि अने अशुद्धिनी हानि थवी तेने संवरपूर्वक
निर्जरा कहेवामां आवे छे. ते निश्चय सम्यग्दर्शनपूर्वक ज होई
शके छे. ज्ञानानंद स्वरूपमां स्थिर थवाथी शुभ-अशुभ इच्छानो
निरोध थाय ते तप छे. तप बे प्रकारना छेः (१) बाळतप,
(२) सम्यक्तप. अज्ञानदशामां जे तप करवामां आवे छे ते