Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 11 (uttarardh) (Dhal 2),12 (Dhal 2).

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भक्ति अने विनय) करे छे ते आ संसारनो अंत करी शकता
नथी एटले के तेने अनंतकाळ सुधी भवभ्रमण मटतुं नथी.
गाथा ११ (उत्तरार्ध)
कुधार्म अने गृहीत-मिथ्यादर्शननुं संक्षिप्त लक्षण
रागादि भावहिंसा समेत, दर्वित त्रस थावर मरण खेत. ११.
जे क्रिया तिन्हैं जानहु कुधर्म, तिन सरधै जीव लहै अशर्म;
याकूं गृहीत मिथ्यात्व जान, अब सुन गृहीत जो है अज्ञान. १२.
४४ ][ छ ढाळा
अन्वयार्थ(रागादि) राग अने द्वेष वगेरे (भावहिंसा)
भावहिंसा (समेत) साथे [तथा] (त्रस) त्रस अने (थावर)
स्थावरना (मरण) घातनुं (खेत) स्थान (दर्वित) द्रव्यहिंसा
(समेत) सहित (जे) जे (क्रिया) क्रियाओ [छे] (तिन्हें) तेने
(कुधर्म) मिथ्याधर्म (जानहु) जाणवो जोईए. (तिन) तेने (सरधै)
श्रद्धवाथी (जीव) प्राणी (अशर्म) दुःख (लहै) पामे छे. (याकूं)
आ कुगुरु, कुदेव अने कुधर्मने श्रद्धवा तेने (गृहीत मिथ्यात्व)
गृहीतमिथ्यादर्शन जाणवुं. (अब) हवे (गृहीत) गृहीत (अज्ञान)