नथी एटले के तेने अनंतकाळ सुधी भवभ्रमण मटतुं नथी.
जे क्रिया तिन्हैं जानहु कुधर्म, तिन सरधै जीव लहै अशर्म;
याकूं गृहीत मिथ्यात्व जान, अब सुन गृहीत जो है अज्ञान. १२.
स्थावरना (मरण) घातनुं (खेत) स्थान (दर्वित) द्रव्यहिंसा
(समेत) सहित (जे) जे (क्रिया) क्रियाओ [छे] (तिन्हें) तेने
(कुधर्म) मिथ्याधर्म (जानहु) जाणवो जोईए. (तिन) तेने (सरधै)
श्रद्धवाथी (जीव) प्राणी (अशर्म) दुःख (लहै) पामे छे. (याकूं)
आ कुगुरु, कुदेव अने कुधर्मने श्रद्धवा तेने (गृहीत मिथ्यात्व)
गृहीतमिथ्यादर्शन जाणवुं. (अब) हवे (गृहीत) गृहीत (अज्ञान)