सांभळो.
मानवामां आवे छे तेने कुधर्म कहेवामां आवे छे. जे प्राणी आ
कुधर्मनी श्रद्धा करे छे ते दुःख पामे छे. आ खोटा गुरु, देव अने
धर्मनी श्रद्धा करवी तेने ‘‘गृहीत मिथ्यादर्शन’’ कहे छे. आ
परोपदेश वगेरे बाह्य कारणना आश्रयथी ग्रहण करवामां आवे
छे तेथी ‘‘गृहीत’’ कहेवाय छे. हवे गृहीत मिथ्याज्ञाननुं वर्णन
करवामां आवे छे.
(पोषक) पुष्टि करवावाळां (कपिलादि-रचित) कपिलादि द्वारा
रचित (अप्रशस्त) खोटां (समस्त) बधां (श्रुतको) शास्त्रोने