Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Dharm Pamavano Samay.

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 7 of 227

 

background image
१५१६मां ते स्पष्ट बताववामां आव्युं छे.
आ गतिओमां मुख्य गति निगोदएकेन्द्रियनी छे,
संसारदशामां वधारेमां वधारे काळ जीव तेमां काढे छे. ते
अवस्था टाळी बेइन्द्रियथी पंचेन्द्रिय भाग्ये ज थाय छे; अने
तेमां पण मनुष्यपणुं प्राप्त करवुं तो अति
अति दीर्घकाळे
बने छे, एटले के जीव मनुष्यभव ‘लगभग नहिवत्’ पामे
छे.
धर्म पामवानो समय
जीवने धर्म पामवानो मुख्य समय मनुष्यपणुं छे; तेथी
जो जीव धर्म समजवानी शरूआत करे तो ते कायमने माटे
दुःख टाळी शके. परंतु मनुष्यभवमां पण कां तो धर्मनो यथार्थ
विचार करतो नथी, अगर तो धर्मने नामे चालती अनेक
मिथ्या मान्यताओमांथी कोई ने कोई खोटी मान्यताने ग्रहण
करे छे अने कुदेव, कुगुरु तथा कुशास्त्रमां ते फसाई जाय
छे; अथवा तो ‘बधा धर्मो एक छे’ एम उपलक द्रष्टिए
मानी लईने बधानो समन्वय करवा लागे छे अने पोतानी
ए भ्रमणावाळी बुद्धिने, विशाळबुद्धि मानीने अभिमान सेवे
छे; कदी ते जीव सुदेव, सुगुरु अने सुशास्त्रनुं बाह्य स्वरूप
समजे तोपण पोतानुं खरुं स्वरूप समजवा जीव यथार्थ प्रयास
करतो नथी; तेथी ते फरी फरीने संसारचक्रमां रखडी पोतानो
मोटामां मोटो काळ निगोद
एकेन्द्रियपणामां काढे छे.
[ ५ ]