छे त्यां तेने उपचारथी मोक्षमार्ग कहीए ते व्यवहार मोक्षमार्ग
छे; कारण के निश्चय-व्यवहारनुं सर्वत्र एवुं ज लक्षण छे
अर्थात् साचुं निरूपण ते निश्चय तथा उपचार निरूपण ते
व्यवहार. माटे निरूपणनी अपेक्षाए बे प्रकारे मोक्षमार्ग
जाणवो. पण एक निश्चयमोक्षमार्ग छे तथा एक व्यवहार-
मोक्षमार्ग छे
आपरूपको जानपनों सो, सम्यग्ज्ञान कला है;
अब व्यवहार मोखमग सुनिये, हेतु नियतको होई.
निश्चय (सम्यक्त्व) सम्यग्दर्शन छे; (आपरूप को) आत्माना
स्वरूपने (परद्रव्यनतैं भिन्न) परथी जुदुं (जानपनों) जाणवुं