Chha Dhala-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 3 (Dhal 3).

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(सो) ते (सम्यग्ज्ञान) निश्चय सम्यग्ज्ञान (कला) प्रकाश (है) छे.
(परद्रव्यनतैं भिन्न) परद्रव्योथी भिन्न एवा (आपरूप में)
आत्मस्वरूपमां (थिर) स्थिरतापूर्वक (लीन रहे) लीन थवुं ते
(सम्यक्चारित) निश्चय सम्यक्चारित्र (सोई) छे. (अब) हवे
(व्यवहार मोखमग) व्यवहार मोक्षमार्ग (सुनिये) सांभळो [के जे
व्यवहार मोक्षमार्ग] (नियतको) निश्चय मोक्षमार्गनुं (हेतु)
निमित्तकारण (होई) छे.
भावार्थपर पदार्थोथी त्रिकाळ जुदा एवा निज
आत्मानो अटल विश्वास करवो ते निश्चय सम्यग्दर्शन कहेवाय छे.
आत्माने पर वस्तुओथी जुदो जाणवो (ज्ञान करवुं) ते निश्चय
सम्यग्ज्ञान कहेवाय छे. तथा परद्रव्योनुं आलंबन छोडीने
आत्मस्वरूपमां एकाग्रताथी मग्न थवुं ते निश्चय सम्यक्चारित्र
(यथार्थ आचरण) कहेवाय छे. हवे आगळ व्यवहारमोक्षमार्गनुं
कथन कहेवामां आवे छे. केम के निश्चयमोक्षमार्ग होय त्यारे
व्यवहारमोक्षमार्ग निमित्तमां केवो होय ते जाणवुं जोईए.
व्यवहार सम्यक्त्व (सम्यग्दर्शन)नुं स्वरुप
जीव अजीव तत्त्व अरु आस्रव, बंध रु संवर जानो,
निर्जर मोक्ष कहे जिन तिनको, ज्यों का त्यों सरधानो;
है सोई समकित व्यवहारी, अब इन रूप बखानो,
तिनको सुन सामान्य-विशेषैं, दिढ प्रतीत उर आनो. ३.
अन्वयार्थ(जिन) जिनेन्द्रदेवे (जीव) जीव, (अजीव)
त्रीजी ढाळ ][ ५९